Darbhanga News: जाले. कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक सह अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर की अध्यक्षता में कृषि अभियांत्रिकी विशेषज्ञ निधि कुमारी ने मंगलवार को नगरडीह गांव में फसल अवशेष प्रबंधन व जल संरक्षण तकनीकों पर ऑफ-कैंपस पीएफ प्रशिक्षण दिया. इसमें प्रगतिशील महिला किसानों ने हिस्सा लिया. निधि ने कहा कि गेहूं की बोआई के समय फसल अवशेष का प्रबंधन करने के लिए धान की कटनी के समय 30 सेंटीमीटर धान के डंठल को खेत में छोड़ना आवश्यक होता है, ताकि अगले फसल के लिए 30 प्रतिशत बायोमास खेत के सतह को ढक सके. साथ ही पुआल को जलाने के बजाय हैप्पी सीडर या सुपर सीडर से उसीपर गेहूं की बोआई करनी चाहिए. इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, सूक्ष्म जीव सक्रिय रहते हैं और लागत कम होती है. इसके साथ जल की बचत की तकनीक जीरो ट्रिलेज तकनीक अपनाना चाहिए. इसमें खेतों की जुताई नहीं करनी पड़ती, इससे नमी बनी रहती है. गेहूं में पहली सिंचाई सबसे महत्वपूर्ण होती है. पुआल या घास को खेत की सतह पर छोड़ने से मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहती है.
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