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20 में 11 कमरे हुए बेकार, स्टोर रूम के तौर पर हो रहा इस्तेमाल

दरभंगा : डीएमसीएच की लचर चिकित्सा व्यवस्था के कारण लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है. सुविधा के नाम पर यहां बुनियादी सुविधा भी मयस्सर नहीं है. वैसे तो हर विभाग का यही हाल है, लेकिन मरीजों एवं परिजनों से शुल्क लेने के बावजूद गायनी विभाग का पेइंग वार्ड में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. […]

दरभंगा : डीएमसीएच की लचर चिकित्सा व्यवस्था के कारण लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है. सुविधा के नाम पर यहां बुनियादी सुविधा भी मयस्सर नहीं है. वैसे तो हर विभाग का यही हाल है, लेकिन मरीजों एवं परिजनों से शुल्क लेने के बावजूद गायनी विभाग का पेइंग वार्ड में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. डीएमसीएच प्रशासन इनसे रोजाना ₹50 की दर से किराया वसूलता है, लेकिन सुविधा के नाम पर छोटे से कमरे में मरीज एवं परिजन किसी तरह रह कर चिकित्सा करवाने के लिये मजबूर हैं. इसमें बिजली, पानी, शौचालय सरीखी बुनियादी सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. कमरे की दीवार भी कई जगह पर दरकी हुई है.

कमरे के किराये में 10 गुना वृद्धि
पेइंग वार्ड के कमरे का किराया लगभग तीन वर्ष पहले पांच रुपये ही थे. डीएमसीएच प्रशासन ने किराए में 10 गुना बढ़ोतरी कर दिया, लेकिन सुविधाओं में विस्तार की बात तो दूर सुधार भी नहीं हुआ. लगातार सुविधाएं कम होती चली गयी. मरीज एवं उनके परिजन डीएमसीएच प्रशासन को रोजाना 50 रुपये की दर से किराया देते हैं, बावजूद कमरे के बाथरूम कई वर्षों से जाम पड़े हैं. उसमें पानी की सुविधा भी नहीं है. कमरे के वायरिंग के तार लुंज-पुंज हैं. दीवार कई जगह दरकी हुई है.
सिर्फ नौ कमरे
रहने के लायक
पेइंग वार्ड में छोटे-बड़े मिला कर कुल 20 कमरे हैं. इसमें नौ छोटे कमरे हैं. 11 बड़े कमरे हैं. मरीजों एवं परिजनों को प्रशासन छोटा कमरा ही मुहैया कराती है. बांकी 11 कमरे की स्थिति खराब होने के कारण उसमें ताला लगे हैं. उस कमरे में अस्पताल के टूटे फर्नीचर रखे हुए हैं. कमरे का स्टोर रूम के रूप में इस्तेमाल कर रहा है.
जल्द होगी
ठोस पहल
रोगियों की ओर से पेइंग वार्ड के किराये के रूप में होनेवाली आय से इसके मेटिनेंस करने की बात रोगी कल्याण समिति की बैठक में रखी गयी है. विचार चल रहा है. जल्द ही इस दिशा में ठोस पहल होगी.
डॉ संतोष कुमार मिश्र,
अधीक्षक, डीएमसीएच
रोजाना आते हैं 150 से 200 मरीज
गायनी विभाग में रोजाना डेढ़ सौ से दो सौ मरीज चिकित्सा कराने के लिए पहुंचते हैं. करीब 20 से 25 मरीज़ों को लंबे इलाज के लिए भर्ती होना पड़ता है. विभाग के विभिन्न वार्डों में 100 बेड लगे हैं. भर्ती मरीजों के रहने के लिये यहां कोई सुविधा नहीं है. रहने के नाम पर पेइंग वार्ड के नौ कमरे ही उपलब्ध हैं. वह भी दयनीय अवस्था में है. भर्ती मरीजों व परिजनों को अस्पताल में कमरा नहीं मिलने के कारण परेशानी होती है. वह बाहर निजी कमरे किराया पर लेकर मजबूरन रहते हैं.
रोगियों को नहीं मिल रही पेइंग वार्ड की सुविधा

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