पटना. कोरोना रोगियों का इलाज करने वाली एलोपैथिक मेडिसिन रेमडीसीविर सहित अन्य दवाओं की कमी पहले ही थी अब होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक दवाओं की किल्लत भी सामने आ रही है.
खासकर आयुष मंत्रालय ने जिन होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक दवाओं को कोरोना रोगियों के इलाज में कारगर बताया है, वे बाजार में मुश्किल से उपलब्ध हो रही हैं. कहीं-कहीं अधिक पैसे वसूलने की भी बात सामने आ रही है.
होम्योपैथ दवा में मुख्य रूप से आर्सेनिक एल्बम और एस्पीडोस्पर्मा है. वही आयुर्वेदिक दवाओं में गिलोय सहित काढ़ा की सामग्रियां हैं. सूत्रों का कहना है कि इन सभी दवाओं को आयुष मंत्रालय ने कोरोना संक्रमण के पहले दौर में ही उपयोगी बताया था. उस समय से ही आर्सेनिक एल्बम बाजार से गायब होने लगी थी.
नवंबर 2020 के बाद इसकी उपलब्धता बाजार में ठीक हो गई थी. अब कोरोना संक्रमण के दूसरे दौर में फिर से यह दवाई बाजार से गायब होने लगी है. वहीं इस बार कोरोना संक्रमण के दौरान ऑक्सीजन लेवल की कमी की समस्या सामने आने पर एस्पीडोस्पर्मा को ऑक्सीजन बढ़ाने वाला बताया गया. अब यह दवाई भी मुश्किल से मिल पा रही है.
आम लोगों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला गिलोय सहित अन्य आयुर्वेदिक दवाई की भी कमी दिख रही है. कोरोनिल भी बाजार में सभी जगह उपलब्ध नहीं है. आंवला के विभिन्न रूप जैसे आंवला कैंडी, आंवला जूस, आंवले का मुरब्बा आदि भी अनुपलब्ध बताए जाते हैं.
कोरोना संक्रमण बढ़ने से होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक दवाइयों की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है. एकाएक इनकी मांग बढ़ जाने से बाजार में हमेशा उपलब्ध नहीं है. जानकारों ने कहा कि दवाइयों की कालाबाजारी से इनकार नहीं किया जा सकता.
Posted by Ashish Jha