नोटबंदी
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अब सात के बाद बैंकों में पहुंचेंगे 500 के नोट
नोटबंदी प्रकाश पर्व में जिले के पुलिस की तैनाती होने से आयी परेशानी कैश लाने के लिए बैंक को नहीं मिल पा रही पुलिस अभी भी जिले में नहीं आयी पाच सौ के नये नोट दो हजार के नोट से बैंक कर रहे ग्राहकों की जरूरत पूरी बेतिया : नोटबंदी के 53 दिन पूरे हो […]
प्रकाश पर्व में जिले के पुलिस की तैनाती होने से आयी परेशानी
कैश लाने के लिए बैंक को नहीं मिल पा रही पुलिस
अभी भी जिले में नहीं आयी पाच सौ के नये नोट
दो हजार के नोट से बैंक कर रहे ग्राहकों की जरूरत पूरी
बेतिया : नोटबंदी के 53 दिन पूरे हो जाने के बाद भी बैंकों में नयी करेंसी को लेकर दिक्कत है. बैंक की ओर से दो हजार के नये नोट देकर ग्राहकों की जरूरतें पूरी की जा रही है. इसका कारण यह है कि अभी भी जिले में 500 रुपये के नये नोट नहीं आ सके हैं.
ग्राहकों के पास दो हजार के नोट जरूरत भर के आ चुके हैं, लेकिन इसका छुट्टा कराना चुनौती बन गया हैं. वहीं बैंकों का कहना है कि आरबीआइ से कैश की डिमांड की गयी है, लेकिन प्रकाश पर्व के चलते पुलिस नहीं मिल पाने से कैश नहीं मंगवाया जा पा रहा है. लिहाजा अब सात जनवरी के बाद ही कैश आ सकेगी. संभावना है कि इस बार आरबीआइ की ओर से पांच सौ के नये नोट मिलेंगे. हालांकि सात जनवरी तक कैश नहीं आने के चलते कैश की किल्लत फिर शुरू होने की संभावना बन गयी है.
इधर, नोटबंदी की मियाद खत्म होने के बाद भी बैंकों में भीड़ लग रही है. बैंकों का कहना है कि जब तक 24 हजार रुपये के निकासी का नियम लागू रहेगा, तब तक बैंकों में भीड़ खत्म नहीं होगी. हालांकि यह नियम खत्म करने से पहले बैंकों को भरपूर कैश देने का प्रावधान करना होगा. पर, आरबीआइ की ओर से बैंकों की डिमांड के मुताबिक कैश उपलब्ध नहीं करायी जा रही है.
इसको लेकर कुछ दिक्कत हैं. नतीजा बैंकों में भीड़ सामान्य होने से समय लगेगा. शहरी इलाकों के बैंक में कैश की किल्लत उतनी नहीं है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के बैंक अभी भी 24 हजार की रकम देने में असमर्थता जता रहे हैं. इसको लेकर ग्राहकों को दिक्कत उठानी पड़ रही है.
ग्राहक सेवा केंद्रों के ग्राहकों की स्थिति खस्ताहाल
बैंकों ने सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक अपना जाल फैलाने के लिए ग्राहक सेवा केंद्र तो खोल दिया. लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से इन ग्राहक सेवा केंद्र का पूर्ण लाभ ग्राहकों को नहीं मिल पा रहा है. जानकार बताते है कि ग्रामीण क्षेत्र के सीएसपी (ग्राहक सेवा केंद्र) को संबद्घ बैंकों द्वारा 50 हजार रुपये उपलब्ध कराये जा रहे है. जबकि इन केंद्रों पर ग्राहकों का डिमांड ज्यादा का रह रहा है. ऐसे में कई ग्राहकों को अभी भी सीएसपी से लौटना पड़ रहा है.
एटीएमवाले तो किसी तरह चला रहे अपना काम
एटीएम व डेबिट कार्डधारी तो किसी तरह अपना काम चला ले रहेहै. कई दुकानों पर स्वाइप मशीन उपलब्ध होने के कारण वे दिनभर में हजारों में अपनी खरीदारी कर ले रहे है . एटीएम से भी वे अब निर्धारित 4500 की राशि की निकासी भी कर ले रहे है . लेकिन बगैर एटीएम व डेबिट कार्डधारी ग्राहकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. गन्ना किसानों की हालत तो और खस्ता हो चली है. गन्ने के सीजन होने के कारण उन्हें वाहनों में डीजल भी डलवाना है और मजदूरों की मजदूरी भी देनी है. लेकिन राशि के अभाव में उनके यहां काम करनेवाले मजदूरों को इंतजार करना पड़ रहा है.
अभी भी नहीं बन पायी नोटबंदी की पूर्व की हालत : नोटबंदी के पूर्व बैंकों से ग्राहकों को जो सुविधा उपलब्ध थी वह अभी भी नही बन पायी है. हालात यह है कि अभी भी बैंक राशि की अनुपलब्धता का रोना रो रहे है. जिला मुख्यालय के बैंकों को छोड़ दे तो ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित होनेवाले बैंक शाखाओं में राशि की अनुपलब्धता अभी भी बरकरार है. नोटबंदी के पूर्व कोई भी ग्राहक चाहे जितनी राशि की निकासी कर ले या एटीएम से निकासी कर ले यह बन पाती थी. लेकिन नोटबंदी के 53 दिन बीतने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों के बैंक शाखाओं में आवश्यकता वश राशि नहीं मिल पा रही है. भले हीं एक दिन या सप्ताह में 24 हजार की निकासी का आदेश सरकार ने दे रखा है. लेकिन एक मुश्त 24 हजार देने में बैंक आनाकानी कर रहे है.
बोले अिधकारी
पांच सौ के नोट एक बार दो करोड़ मिले थे, इसके बाद नहीं मिले. इधर, आरबीआइ से कैश लाने को लेकर पुलिस से बात की गयी थी. वहां से कहा गया कि पुलिस प्रकाश पर्व को लेकर व्यस्त है. सात जनवरी के बाद सुरक्षाकर्मी मिलेंगे. लिहाजा सात जनवरी के बाद ही कैश आ सकेगी.
अरूण कुमार, क्षेत्रीय प्रबंधक एसबीआइ
पुलिस के व्यस्त होने जैसी कोई बात नहीं है. एसबीआइ के क्षेत्रीय प्रबंधक से बात हुई थी, उन्होंने बताया कि फिलहाल कैश पर्याप्त है. इसके बाद कहा गया था कि प्रकाश पर्व होने के बाद सुरक्षाकर्मी उपलब्ध करा दिये जायेंगे.
राजेश कुमार, एएसपी अभियान
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