ट्रेन पर लद शराब पीने जा रहे यूपी
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शरािबयाें का पलायन. सीमावर्ती उत्तर प्रदेश में शराब की खुलने लगीं नयी दुकानें
ट्रेन पर लद शराब पीने जा रहे यूपी बिहार में पूर्ण रूप से शराब बंदी के बाद सीमावर्ती उत्तरप्रदेश व नेपाली क्षेत्र में शराब की दुकानें गुलजार होने लगी हैं. शाम होते ही यहां की दुकानों पर बिहार क्षेत्र के शराब के शौकीनों की भीड़ देखी जा सकती है. प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में शराब […]
बिहार में पूर्ण रूप से शराब बंदी के बाद सीमावर्ती उत्तरप्रदेश व नेपाली क्षेत्र में शराब की दुकानें गुलजार होने लगी हैं. शाम होते ही यहां की दुकानों पर बिहार क्षेत्र के शराब के शौकीनों की भीड़ देखी जा सकती है. प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में शराब के आदी लोग इन शराब दुकानों पर पहुंच रहे हैं और शराब का आनंद उठा रहे हैं.
पिपरासी : सूबे में एक अप्रैल से पूर्ण शराबबंदी के कारण बिहार के शराबियों की मांग को देखते हुए यूपी में शराब की दुकानें खुलने लगी हैं. वहीं पूर्व की दुकानों में भी शराब की बिक्री बढ़ गयी है. गंडक पार के प्रखंडों के साथ- साथ बगहा, हरनाटाड़, भैरोगंज, रामनगर, नरकटियागंज आदि जगहों से रोजाना सैकड़ों की संख्या में शराबी ट्रेन से यूपी के शराब भट्ठियों पर आ रहे हैं और शराब की प्यास बुझा रहे हैं. बिहार के शराबियों की बढ़ती तादाद और शराब की मांग को देखते हुए दुकानों में पहले से ज्यादा शराब की बिक्री होने लगी है. वहीं सरकार व आबकारी विभाग ने भी शराब की बढ़ती मांग को देखते हुए नये दुकानों के लाइसेंस भी देना शुरू कर दिया है.
दो दर्जन से अधिक खुलीं शराब दुकानें
सीमावर्ती क्षेत्र के बांसी चौक, सिसवा घाट व अन्य स्थान पर यूपी सरकार द्वारा कई नयी दुकानें खोली गयी है. वहीं सीमावर्ती यूपी के पनियहवा, खड्डा, छितौनी, बेलवनिया, जटहा, भैरोगंज,खरसाल बबुइया, जुड़ी चौराहा, त्रिलोकपुर, पुष्कर नगर, खनगी, पांडेयपट्टी, गोडरिया, तरेया आदि लगभग दो दर्जन से अधिक देशी व विदेशी शराब की दुकानें बिहार सीमा से सटे हुए है. जिनकी दूरी बिहार सीमा से बिहार सीमा से 500 मीटर से लेकर 2 किलोमीटर तक की है. बिहार में शराब की मांग को देखते हुए इन दुकानों पर शराब की आपूर्ति को भी बढ़ा दिया गया है.
बता दे कि गंडक पार के प्रखंड के लोगों को अपने दैनिक आवश्यक वस्तुओं के लिए यूपी के बाजारों पर निर्भर रहना पड़ता है.बाजार करने के बहाने लोगों को शराब लाने व पीने में काफी सहूलियत हो रही है. सूबे में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध का गंडक पार के प्रखंडों में अधिक प्रभाव दिखता नजर आ रहा है.
गंडक पार में पूर्ण शराबबंदी चैलेंज
सूबे में पूर्ण शराब बंदी का कोई खास असर सीमावर्ती गंडक पार के प्रखंडों में दिखता नजर नहीं आ रहा है. कारण कि लोग यूपी के सीमावर्ती क्षेत्र के शराब दुकानों पर आसानी से पहुंच जा रहे है. वहां शराब की प्यास बुझा कर खेत घूमने के बहाने खेत के रास्ते आराम से घर भी आ जा रहे है. गंडक पार के शराबियों को आसानी से शराब मुहैया हो जा रही है. इस तरह गंडक पार के प्रखंड में पूर्ण शराब बंदी प्रशासन के लिए एक चैलेंज बना हुआ है.
शराबबंदी ने बढ़ायी यूपी पर िनर्भरता
पुरानी लत छोड़ने में हो रही समस्या
सीमावर्ती यूपी के पनियहवा मछली के लिए विख्यात था. यहां दूर- दराज से लोग मछली खाने आते थे. जिसको देखते हुए पनियहवा में देशी, विदेशी व बियर की दुकान खोली गयी थी. अब बिहार में शराब बंद हो जाने के बाद शाम होते हीं बिहार के दूर- दराज के सैकड़ों लोग शराब के लिए लाइन लगा दे रहे है.ट्रेन की सुविधा होने से शराबी आराम से आ रहे है और शराब पीकर चले जा रहे है. भैरोगंज निवासी झगरू राम, ओमप्रकाश केवट,
नरकटियागंज के रामनिवास गुप्ता, संजय उरांव, स्वामीनाथ प्रजापति आदि ने बताया कि पिछले करीब बीस वर्ष से शराब का सेवन कर रहे थे. एकाएक सूबे मे शराब की बंदी के बाद समस्या हो रही है. बहुतों की तो तबीयत भी खराब हो जा रही है. जिस कारण रोजाना पांच बजे पनियहवा आने वाली ट्रेन से आत है और रात के आठ बजे वाली ट्रेन से वापस चले जाते है.
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