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बिहार के वाल्मीकि राष्ट्रीय टाइगर रिजर्व पार्क में 90 दिनों में 3 बाघों की मौत

पश्चिम चंपारण : बिहार राज्य के एकमात्र वाल्मीकि राष्ट्रीय टाइगर रिजर्व पार्क में बाघों को मारे जाने का सिलसिला जारी है. जानकारी के मुताबिक एक बार फिर रिजर्व में एक बाघ की लाश मिलने से सनसनी फैल गयी है. रिजर्व के गनौला इलाके के महादेवा परिसर में गश्त करने वाले वन विभाग के कर्मचारियों ने […]

पश्चिम चंपारण : बिहार राज्य के एकमात्र वाल्मीकि राष्ट्रीय टाइगर रिजर्व पार्क में बाघों को मारे जाने का सिलसिला जारी है. जानकारी के मुताबिक एक बार फिर रिजर्व में एक बाघ की लाश मिलने से सनसनी फैल गयी है. रिजर्व के गनौला इलाके के महादेवा परिसर में गश्त करने वाले वन विभाग के कर्मचारियों ने बाघ के लाश के सड़ने के बाद उठने वाली दुर्गंध से इस बात का खुलासा किया है. वन विभाग को पूरी तरह आशंका है कि एक साजिश के तहत जहर देकर बाघों को मारा जा रहा है.

गौरतलब हो कि एक महीने पहले दिल्ली से आयी विशेषज्ञों की टीम ने भी इस बात की जानकारी दी थी किवाल्मीकि रिजर्व पार्क में बाघों की हत्या की जा रही है. मात्र 90 दिनों के अंदर तीन बाघों की मौत ने रिजर्व की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. जानकारी की माने तो विभाग इस मामले को दबाने में जुटा है लेकिन बात धीरे-धीरे फैल रही है.

वन विभाग के पास मौजूद आकंड़े की ही बात करें तो इसी वर्ष फरवरी में 20 तारीख को एक बाघ का शव मिला जबकि जनवरी में इसी वर्ष दो बाघों की मौत हुई. वर्ष 2013 में नौरंगिया के दोन में जंगल में बाघ का शव मिला जबकि इसी साल मदनपुर में एक बाघ मृत पाया गया. 2008 में नौरंगिया में आयरन ट्रैप में फंसने से एक बाघ की मौत हुई थी. भारत सरकार सेव द टाइगर मिशन पर करोड़ो रुपये खर्च करती है. इस तरह बाघों के मौत का होना सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर रहा है.

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