अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर किया जा रहा खिलवाड़
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मेडिकल कॉलेज में भी ब्लैकलिस्टेड एजेंसी से कार्य कराने का खुलासा
अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर किया जा रहा खिलवाड़ बेतिया : जिले में महज स्वास्थ्य केंद्रों में ही नहीं ब्लकि मेडिकल कॉलेज में भी सुरक्षा व्यवस्था से खिलवाड़ किया जा रहा है. खबर है कि मेडिकल कॉलेज में जिस एजेंसी को सुरक्षा व्यवस्था दी गई है, उसे राज्य सरकार ने ब्लैक लिस्टेड कर रखा […]
बेतिया : जिले में महज स्वास्थ्य केंद्रों में ही नहीं ब्लकि मेडिकल कॉलेज में भी सुरक्षा व्यवस्था से खिलवाड़ किया जा रहा है. खबर है कि मेडिकल कॉलेज में जिस एजेंसी को सुरक्षा व्यवस्था दी गई है, उसे राज्य सरकार ने ब्लैक लिस्टेड कर रखा है. जबकि स्वास्थ्य केंद्रों में भी काली सूची में दर्ज व्यक्ति के संस्था को लगाने का खुलासा हो चुका है. बावजूद यह एजेंसियां अफसरों से साठगांठ के बूते सेवा दे रही हैं.
जानकारी के अनुसार, मुजफ्फरपुर के गोस्वामी सिक्योरिटी सर्विसेज प्राईवेट लिमिटेड को गर्वनमेंट मेडिकल कॉलेज के सुरक्षा की जिम्मेवारी सौंपी गयी है. जबकि एजेंसी में नियोजित सुरक्षा कर्मियों को न्यूनतम मजदूरी के दर से भी कम मजदूरी भुगतान करने और ईपीएफ कटौती नहीं करने कारण के मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार के गृह विभाग ने इसके अनुज्ञप्ति को रद्द कर दिया है.
बताते है कि एजेंसी की ओर से जिन सुरक्षाकर्मियों को रखा गया था उन्हें 4 हजार रुपया प्रतिमाह के दर पर भुगतान किया जाता था और ईपीएफ की कटौती की राशि का विवरणी किसी भी सुरक्षा कर्मी को नहीं दिया गया. मामले की जानकारी होने पर राज्य के गृह विभाग ने एजेंसी से अपने कर्मियों की सूची सौंपने का निर्देश दिया था. जिसपर गोस्वामी सिक्यूरिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने गृह विभाग को मात्र 25 कर्मियों का डाटा ही उपलब्ध कराया था.
समीक्षा करने के बाद विभाग ने गोस्वामी सिक्यूरिटी प्रावेट लिमिटेड की अनुज्ञती संख्या 13/2013 की अनुज्ञप्ति नवीकरण आवेदन को अस्वीकृत कर दिया, लेकिन अनुज्ञप्ति अस्वीकृत होने के बाद भी उक्त एजेंसी से गर्वनमेंट मेडिकल कॉलेज में कार्य लिये जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. राज्य सरकार ने पत्र भेजकर जिला प्रशासन से इस संबंध में प्रतिवेदन की मांग की है.
स्वास्थ्य केंद्रों में सुरक्षा व्यवस्था संभाल रही एजेंसी के बारे में भले ही स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी यह तर्क दे रहे हैं कि उनकी दूसरी संस्था ब्लैक लिस्टेड है. जिस संस्था से काम लिया जा रहा है. वह काली सूची में नहीं है. जबकि कलेक्ट्रेट की ओर से जारी आदेश में एजेंसी के अलावे उसके संचालक को भी काली सूची में डाला गया है. इतना ही नहीं फर्जीवाड़े के आरोप में इनपर प्राथमिकी भी कराई गई है.
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