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12 साल से नप ने लटकाया करोड़ों के खर्च का हिसाब, मिली चेतावनी

महालेखाकार व प्रधान सचिव के सख्त निर्देश पर भी नहीं कर रहे दर्जनों आपत्तियों का निबटारा बेतिया : वर्ष 2013-14 में बिना टेंडर निकले की 37.93 लाख के गार्वेज कम्पेक्टर मशीन की खरीद हो गई. भुगतान दो साल बाद उक्त मशीन की आपूर्ति हो हो सकी. वह थी बगैर अनिवार्य (थर्ड पार्टी) जांच के ही […]

महालेखाकार व प्रधान सचिव के सख्त निर्देश पर भी नहीं कर रहे दर्जनों आपत्तियों का निबटारा

बेतिया : वर्ष 2013-14 में बिना टेंडर निकले की 37.93 लाख के गार्वेज कम्पेक्टर मशीन की खरीद हो गई. भुगतान दो साल बाद उक्त मशीन की आपूर्ति हो हो सकी. वह थी बगैर अनिवार्य (थर्ड पार्टी) जांच के ही भुगतान करने में 1.51 लाख का अधिक भुगतान कर दिया गया. बावजूद इसके उक्त मशीन के लिए जरूरी ग्लब्नाइज्ड डस्टबिन की खरीद नहीं होने से आपूर्ति के तीन साल बाद भी कम्पेक्टर मशीन का उपयोग शरू नहीं हो पाया है.
यह मामला एक उदाहरण है नगर परिषद में वर्षों वर्षों से जारी मनमानी का. ऐसी दर्जनों आपत्तियों का निष्पादन 12 साल अर्थात 2007-08 से अब तक लटका पड़ा है.
बिहार के महालेखाकार के बाद अब प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद तक ऑडिट रिपोर्ट की दर्जनों आपत्तियों का निष्पादन होने पर सख्त हैं. फिर बात एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पा रही. हालांकि प्रधान सचिव के कड़े रुख के बाद नप प्रशासन में थोड़ी सरगर्मी बढ़ी है. कार्यपालक पदाधिकारी मनोज कुमार पवन ने बताया कि प्रभारी लेखापाल अभय कुमार के अलावे लेखा परीक्षा सम्भाग के प्रभारी बने टैक्स दरोगा रमण कुमार को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है.
इधर रमण कुमार ने बताया कि उपरोक्त पद के अलावें प्रधान सहायक का पदभार भी मेरे ही पास ही है. बावजूद इसके वे सहयोग को तैयार हैं. लेकिन लेखपाल अब तक उनके पास इसके लिए एक बार भी नहीं आये हैं. वहीं लेखापाल अभय कुमार ने बताया कि प्रभार के साथ उन्हें आपत्तियों से सम्बंधित अभिलेख नहीं मिले हैं. अभिलेखों के अभाव में रिपोर्ट बनाना संभव नहीं है.

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