बक्सर
. वासंतिक नवरात्र के तीसरे दिन मंगलवार को मां चन्द्रघंटा की आराधना की गयी. श्रद्धालु स्नान आदि के बाद मंदिरों व घरों में वैदिक विधि-विधान से देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चन्द्रघंटा की पूजा किए और स्तोत्र पाठ तथा मंत्र जाप किए.इस अवसर पर मां भगवती के दर्शन-पूजन के लिए देवी मंदिरों में सुबह से लेकर दोपहर बाद तक श्रद्धालुओं के तांता लगे रहे. मंदिरों में स्थापित माता रानी की प्रतिमा का पुष्प-पत्रों से विशेष श्रृंगार किया गया था.जिससे देवी मां का रूप अत्यंत मनोहारी लग रहा था. देवी भक्त मां भगवती की पूजन के बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ किए और आरती के बाद भोग लगाए. पौराणिक मान्यता के अनुसार मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंन्द्रघंटा है. जिनकी आराधना नवरात्र के तीसरे दिन की जाती है. इनकी उपासना से वीरता व निर्भयता के साथ ही सौम्यता व विनम्रता का प्रभाव बढ़ता है. वाणी में दिव्य व अलौकिक माधुर्य का समावेश हो जाता है. मां चन्द्रघंटा सिंह की सवारी करती हैं. उनके मस्तक पर सुशोभित अर्द्ध चंद्र घंटे के समान प्रतीत होता है, सो इन्हें चन्द्रघंटा के नाम से जाना जाता है. ये माता दस भुजाधारी हैं.वे अपने बाएं चार भुजाओं में त्रिशुल, गदा, तलवार व कमंडल धारण करती हैं, जबकि पांचवां भुजा वरदान की मुद्रा में रहता है. इसी तरह दाएं चार भुजाओं में कमल, तीर, धनुष व जप माला तथा पांचवें हाथ अभाय मुद्रा में होता है. वडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है