बक्सर. जिले में ठंड का असर पिछले दो दिनों से लगातार बढ़ता जा रहा है. नगर में संध्या के समय कोहरे का प्रभाव दिखाई दिया. जिले में अधिकतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. दिन और रात के तापमान में अंतर कम होने के कारण दिन में भी ठंड से राहत नहीं मिल रही है. लोगों को दिन में भी गर्म कपड़े पहनने और अलाव की आवश्यकता महसूस हो रही है. साथ ही पछुआ हवा के कारण ठंड और बढ़ गयी है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लोगों की दिनचर्या प्रभावित होने लगी है. सूर्य की किरणें भी नरम और फीकी पड़ गयी हैं, जिससे ठंड का असर और बढ़ गया है. मौसम की इस स्थिति के कारण बाजार और सड़कों पर आवागमन कम हो गया है. मजदूर वर्ग को सबसे अधिक परेशानी हो रही है और उनकी रोजमर्रे की मजदूरी प्रभावित होने लगी है. ठंड के बढ़ने से बच्चों, बुजुर्गों और हृदय रोगियों की परेशानी और बढ़ गयी है. सिविल सर्जन शिव कुमार प्रसाद चक्रवर्ती ने बताया कि ठंड के प्रभाव से नसों में सिकुड़न होती है, जिससे हृदय रोगियों के लिए खतरा बढ़ जाता है. उन्होंने लोगों से सलाह दी कि ठंड में सीधे बिस्तर छोड़कर बाहर न निकलें और अपने शरीर को पूरी तरह गर्म रखें. ठंड से बचाव के लिए बच्चों और बुजुर्गों को विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है. सर्दियों में सिरदर्द, थकान, बुखार, नाक में स्राव और गले में खसरा जैसी समस्या आम हैं. इसके अलावा निमोनिया और ब्रांकाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी रहता है. स्वस्थ रहने के लिए खान-पान का ध्यान रखें, पर्याप्त नींद लें और हल्का व्यायाम करें. सिविल सर्जन ने चेतावनी दी कि ठंड के मौसम में लापरवाही से स्वास्थ्य गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है. हृदय रोगियों को विशेष सावधानी बरतनी आवश्यक है. वहीं सामान्य लोगों को भी ठंड में खुद की सुरक्षा और बच्चों, बुजुर्गों की सुरक्षा का ध्यान रखना होगा. जिले में तापमान अगले कुछ दिनों तक इसी तरह नीचे रहने की संभावना है. ठंड और पछुआ हवा के चलते आम जनजीवन प्रभावित रहेगा. लोगों को अलाव, गर्म कपड़े और स्वास्थ्य सुरक्षा उपाय अपनाने की सलाह दी जा रही है. सर्दियों में विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और हृदय रोगियों को ठंड से बचाव करना अत्यंत आवश्यक है. इस मौसम में स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहने से गंभीर बीमारी और हृदय संबंधित जोखिम कम किये जा सकते हैं.
सदर अस्पताल के ओपीडी में 750 मरीजों का रजिस्ट्रेशन
सदर अस्पताल में मंगलवार को ओपीडी में कुल 750 मरीजों का रजिस्ट्रेशन और इलाज किया गया, जिसमें ज्यादातर लोग सर्दी, जुकाम और मौसमी बीमारियों से पीड़ित थे. जिले में हृदयघात होने पर मरीजों के लिए उपचार की सुविधा नहीं है. सदर अस्पताल और किसी भी सरकारी केंद्र में हृदय रोगियों के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं. जिले में आइसीयू पूरी तरह तैयार है, लेकिन कर्मियों और चिकित्सकों की कमी के कारण हृदय रोगियों का इलाज संभव नहीं है. ऐसे मरीजों को बेहतर इलाज के लिए पटना या बनारस ले जाना पड़ता है, जिससे जीवन पर खतरा बढ़ गया है.
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