चौसा. चैत्र नवरात्र के उपलक्ष्य में चौसा गोला हनुमान मन्दिर प्रांगण में काशी कलाकारों के द्वारा मंचित रामलीला में सूर्पड़खा रावण संवाद, सीता हरण, सबुरी मिलन प्रसंग का सफल मंचन किया गया. रामलीला में दिखाया गया कि. लक्ष्मण के हाथों सुपनखा का नाक काट दिए जाने के बाद कटी नाक से रूधिर बहते हुए रावण दरबार सुपनखा पहुंचती हैं. रावण ने उसकी दशा देखकर पूछा कि तेरे नाक कान किसने काटे. सुर्पणखा ने कहा कि राम लक्ष्मण दशरथ के पुत्र हैं . राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने मेरे नाक कान काटे है और उसने खरदूषण और त्रिसरा का भी वध कर दिया. रावण सोचता है खर दूषण को मारने वाला कोई साधारण मनुष्य नहीं हो सकता , निश्चित ही कोई अवतार है . रावण मारीचि के पास जाता है और राम से बदला लेने के लिए कपट मृग बनने को कहता है. मारीचि सोने का मृग बनकर पंचवटी से निकलता है तो सीता राम जी से उस स्वर्ण मृग की खाल लाने को कहती हैं. रामजी उसके पीछे जाते है और उस स्वर्णमृग को एक बाण से मार देते हैं .मारीचि मरते समय हा लक्ष्मण हा लक्ष्मण की आवाज करता है .सीता जी ने राम को संकट में जानकर लक्ष्मण को उनकी सहायता में भेजती है . मौका देखकर लंकेश साधु का वेश रखकर जबरजश्ती सीता को रथ में बैठा कर आकाश मार्ग से जाता है. जटायु रावण पर हमला कर देते हैं इसके बाद लंकेश जटायु के पंख तलवार से काट देता है. उक्त प्रसंग को उपस्थित हजारों दर्शकों की आंखें नम सी हो जाती है. इधर राम लक्ष्मण पंचवटी पहुंचते हैं वहां पर सीता को न पाकर दुःखी होकर ढूंढ ने लगते हैं . रास्ते में घायल गिद्ध राज जटायु मिलते हैं वह सारा वृतांत बताते हैं और भगवान की गोद में अपने प्राण त्याग देते हैं . उसके बाद भगवान सबरी के आश्रम पहुंचते हैं जहां पर प्रेम भक्ति में सबरी के झूठे बेर खाते हैं. इसके बाद सीता की खोज के लिए अंगद, नील, जाम्वन्त, हनुमान को दक्षिण दिशा में भेजा जाता है . खोजते खोजते उनकी भेंट सम्पाती से होती है जो कि जटायु का भाई है सीता लंका में है और जो सौ योजन समुंद्र को लांघ सकता हो वहीं वहां जा सकता है. समुंद्र तट पर जाम्वन्त ने हनुमान जी को उनका बल याद दिलाया. इसके बाद हनुमान जी भगवान श्रीराम का नाम सुमिर कर लंका की ओर प्रस्थान करते हैं.रास्ते में उन्हें सुरसा मिलती है.सुरसा अपना बदन सोलह योजन तक फैलाती है हनुमान जी 32 योजन तक अपना बदन फैलाते हैं. जब सुरसा समझ जाती है तो हनुमान सर नवाकर आगे चलते है .हनुमान जी अशोक वाटिका पहुंचकर जहां सीता बैठी हुई हैं उस पेड़ पर छुप जाते हैै. सबुरी मिलन प्रसंग देखकर उपस्थित हजारों लोग आनंदित हो उठे.
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