बक्सर. जिले में बेघर लोगों के सिर पर छत देने की दिशा में सरकार की योजनाएं अब असर दिखाने लगी हैं. ग्रामीण विकास विभाग और राज्य सरकार की ओर से यह दावा किया गया है कि आने वाले पांच वर्षों यानी वर्ष 2030 तक जिले के हर बेघर परिवार को पक्का घर मिल जायेगा. राज्य सरकार आवास विहीन भूमिहीन परिवारों को जमीन उपलब्ध कराने के साथ-साथ प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के माध्यम से उन्हें आवास निर्माण की वित्तीय सहायता भी दे रही है. पिछले 10 वर्षों के दौरान जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 16,272 गरीब परिवारों को पक्का घर बनाने की स्वीकृति मिल गया है. जिस पर कुल दो अरब 50 करोड़ 58 लाख 8 हजार रुपये से अधिक की राशि खर्च की गयी है. यह योजना खासतौर पर उन परिवारों के लिए है. जिनके पास रहने योग्य घर नहीं है और अपनी जमीन भी नहीं है. ऐसी स्थिति में उन्हें जमीन भी उपलब्ध करायी जाती है. प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत प्रत्येक लाभुक को कुल एक लाख 54 हजार रुपये की सहायता दी जाती है. इसमें एक लाख 20 हजार रुपये आवास निर्माण के लिए, 22,050 रुपये मनरेगा के 90 दिनों की मजदूरी साथ ही साथ 12 हजार रुपये शौचालय निर्माण के लिए योजना में शामिल होने के लिए लाभुक के पास कम से कम 25 वर्ग मीटर जमीन होना अनिवार्य है. यदि जमीन नहीं है, तो राज्य सरकार इसके लिए जमीन उपलब्ध करा रही है. ग्रामीण विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2021-22 तक के सात वर्षों में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत जिले के 15,628 लाभुकों को आवास निर्माण की स्वीकृति दी गई.जबकि इस अवधि का भौतिक लक्ष्य 16,158 आवासों का था. हालांकि स्वीकृति मिलने के बावजूद स्थलीय जांच में केवल 4,549 आवासों का निर्माण ही पूरा पाया गया है. इससे स्पष्ट है कि आवास निर्माण की प्रक्रिया लक्ष्य की तुलना में काफी धीमी है. कौन सा प्रखंड सबसे आगे, कौन सबसे पीछे : इस अवधि में आवास निर्माण की प्रगति प्रखंडवार अलग-अलग रही. सबसे अधिक घर राजपुर प्रखंड में 720 घर बनकर तैयार हुए, जबकि सबसे कम निर्माण केसठ प्रखंड में मात्र 94 घर बने..इससे स्पष्ट है कि कुछ क्षेत्रों में योजना का बेहतर क्रियान्वयन हुआ है जबकि कुछ इलाकों में अभी भी जागरूकता, तकनीकी प्रक्रिया या जमीन से जुड़े विवादों के कारण निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा है. 2016-17 से 2023-24 में किस प्रखंड का कितना था लक्ष्य प्रखंड लक्ष्य स्वीकृति बना ब्रह्मपुर 2734 2648 714 बक्सर 583 578 287 चक्की 727 721 235 चौसा 1159 1119 319 चौगाई 607 602 105 डुमरांव 2045 2005 440 इटाढ़ी 1547 1451 667 केसठ 265 234 94 नवानगर 1554 1460 328 राजपुर 2610 2507 720 सिमरी 2327 2303 640 योजना के दूसरे चरण में भी लक्ष्य से अधिक स्वीकृति : योजना के दूसरे चरण वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए भी पक्का घर बनाने का काम चल रहा है. इस चरण में जिले के लिए कुल 114 आवासों का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन विभाग की ओर से 126 लाभुकों को आवास निर्माण की स्वीकृति दी गई है. इसका अर्थ है कि दूसरा चरण लक्ष्य के हिसाब से बेहतर गति से आगे बढ़ रहा है. 2030 जिले में बेघर लोगों को पक्का घर मिलने की उम्मीद : विभागीय अधिकारियों के अनुसार जिले में सभी बेघर परिवारों की पहचान कर ली गयी है. कई ऐसे परिवार भी हैं. जिनके पास जमीन नहीं थी, लेकिन अब उन्हें जमीन उपलब्ध कराई जा रही है. इस व्यवस्था के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ सीधे उन्हें दिया जा रहा है. जिला प्रशासन का दावा है कि 2030 तक जिले में कोई भी परिवार बेघर नहीं रहेगा. शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण इलाकों की प्राथमिकता तय करते हुए आवास निर्माण की प्रक्रियाएं तेज की जा रही हैं. विभागीय स्तर पर लंबित आवासों की मॉनिटरिंग भी ने की जा रही है ताकि निर्माण कार्य जल्द से जल्द पूरा हो सकें. जमीन, तकनीकी प्रक्रिया और स समय किस्त नहीं दिया जाना बनी बाधा : प्रभात खबर की टीम जिस परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला हुआ और मकान नहीं बना पाया है. उनसे बात की तो पता चला कि आवास निर्माण के लिए जो पैसा दिया जाता है. उस पैसे को तीन किस्तों में दिया जाता है. लेकिन एक किस्त के बाद दूसरा किस्त नहीं मिल पा रहा है. जिसके कारण आगे का काम नहीं कर पा रहे हैं. साथ ही साथ बताया कि मनरेगा मजदूरी समय पर नहीं मिल पाता है.
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