बक्सर
. बढ़ रही गर्मी बिजली विभाग के लिए बड़ी चुनौती है. ऐसे में उन्हें गर्मी के मौसम में कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. जबकि अगले साल ही गर्मी में ओवरलोड के कारण बिजली की लो वोल्टेज की समस्या से आम जनता को परेशानियों का सामना पड़ा. विभागीय जानकारी के अनुसार अगले साल गर्मी में ही जिले के अधिकांश पावर सब स्टेशन अपने क्षमता से अधिक लोड़ पर चल रहे थे. जिस कारण आम जनता को समस्या हुई. अनुमान लगाया जा रहा है कि पिछले साल के अपेक्षा इस साल अधिक गर्मी पड़ने की उम्मीद है. अगले साल जिले के अधिकांश ट्रांसफार्मर फेल हो चुके थे. इस साल विभाग गर्मी से पूर्व कोई तैयारी नहीं किया. इस साल तो मार्च में ही गर्मी ने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं, ऐसे में बिजली विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती लो वोल्टेज की समस्या से निपटना है. विधुत विभाग के लिए गर्मी का मौसम एक बड़ी चुनौती बन गया है. पिछले साल से ही जिले के पावर सबस्टेशन ओवरलोड पर चल रहे थे, जिसके कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो रही थीं. जबकि गर्मी से निपटने के लिए जिले में सात पावर सब स्टेशन बनाने का स्वीकृति विभाग के द्वारा मिली थी ताकि गर्मी में लो वोल्टेज की समस्याओं से निपटारा किया जा सके. लेकिन विद्युत विभाग के लापरवाही से अभी तक सात पाॅवर सब स्टेशन के लिए जगह का चयन नहीं किया गया है.जबकि प्रत्येक वर्ष 15 से 20 प्रतिशत लोड बढ़ जाता है. ऐसे में इस साल विद्युत विभाग के सामने गर्मी के मौसम में लो वोल्टेज की समस्या से विद्युत विभाग कैसे निपटेगा. गर्मी में ओवरलोड चल रहा था पावर सबस्टेशन : जिले के अधिकांश पाॅवर सब स्टेशन अगले साल ही ओवर लोड चल रहा था. जिसके कारण अगले साल गर्मी में लो वोल्टेज की समस्या हो रही थी. जिसके वजह से शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के लोग की समस्या का सामना करना पड़ रहा था . जिसको लेकर सात पॉवर सबस्टेशन का निर्माण कराया जाना था. ताकि लो वोल्टेज ट्रिप की समस्या से निजात मिल सके. जबकि अगले साल भीषण गर्मी में शहर के विद्युत उपकेंद्र ओवरलोड हो जा रहे थे. स्थिति यह थी कि हर घंटे अघोषित कटौती का सामान करना पड़ रहा था. बार-बार ट्रिप हो रही बिजली के कारण उपभोक्ताओं को परेशानी उठानी पड़ रही थी. शहरी क्षेत्र में गत साल की अपेक्षा 30 प्रतिशत बढ़ जायेगी बिजली की खपत : जिले के भीषण गर्मी में बिजली की खपत शहर में पिछले साल की तुलना में करीब 30 प्रतिशत बढ़ जाती है. इससे वजह से विद्युत उपकेंद्रों पर स्थापित पावर ट्रांसफॉर्मर हांफने लगते हैं. बिजली की कटौती का सामना करना पड़ता था. साउथ बिहार विद्युत कंपनी के पदाधिकारी भूमि की कर रहे तलाशशहर और ग्रामीण क्षेत्रों में अलग पीएसएस निर्माण को भूमि के लिए जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया गया है, जिनके माध्यम से अंचलाधिकारी को अवगत कराया गया है, इसके मिलते ही पीएसएस स्थापित करने का काम शुरू हो जाएगा . वही टेंडर की प्रक्रिया हेड क्वार्टर से चल रही है . टेंडर ओपन हो गया है. देखिए किसको मिल रहा है. जिस एजेंसी को टेंडर मिलेगा वह जल्द ही काम शुरू कर देगी. एक दो पाॅवर सब स्टेशन का चयन कर लिया गया है. समरेंद्र कुमार, सहायक विद्युत अभियंता (प्रोजेक्ट)डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है