बक्सर
. शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा की आराधना का महापर्व वासंतिक नवरात्र का शुभारंभ 30 मार्च से होगा. नवरात्र का प्रथम दिन रविवार होने के कारण उस दिन मां भगवती अपने निवास स्थल मणि द्वीप से हाथी पर सवार होकर धरा पर पधारेंगी. देवी भक्त उस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करेंगे. माता रानी का गमन यानि प्रस्थान चैत्र शुक्ल दशमी तिथि यानि 7 अप्रैल सोमवार को होगा. उस दिन सोमवार होने के कारण मां दुर्गा महिष पर गमन करेंगी. वासंतिक नवरात्र का शुभारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है. उसी तिथि से नव संवत्सर 2082 का भी आगाज हो जाएगा. कालयुक्त नाम से जाना जायेगा नव संवत्सर : वासंतिक नवरात्र के साथ ही संवत्सर का नाम भी बदल जायेगा. नव संवत्सर का नाम कालयुक्त होगा. इससे पूर्व 2081 संवत्सर का नाम पिंगल था. ऐसे में पूजन संकल्प आदि विधि में पिंगल नाम संवत्सर के स्थान पर कालयुक्त नाम संवत्सर का उच्चारण किया जाएगा. क्योंकि 30 मार्च से लेकर एक वर्ष तक काल युक्त संवत्सर रहेगा.आचार्य श्रीकृष्णानंद जी पौराणिक ने बताया कि यह वासन्तिक नवरात्र व्रत आठ दिनों का होगा. क्योंकि पंचांग के मुताबिक पंचमी तिथि की हानि हो रही है. श्रीराम नवमी व्रत निर्विवाद रूप से 6 अप्रैल रविवार को मध्याह्न काल में मनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि नवरात्र का व्रत 30 मार्च रविवार से प्रारम्भ होकर 6 अप्रैल रविवार तक रखा जाएगा. नवरात्र व्रत का पारण 7 अप्रैल दिन सोमवार को होगा. श्री पौराणिक जी ने बताया कि वासंतिक नवरात्र का शुभारंभ रविवार को होने से मां दुर्गा का धरा पर आगमन हाथी पर होगा. जिससे सम्पूर्ण सृष्टि में सुख शांति व अमन चैन की संभावना तथा पर्याप्त वृष्टि होगी. जिससे संसार के लोग खुशहाल रहेंगे. देवी का प्रस्थान सोमवार को होने के कारण महिष यानि भैंसा वाहन पर प्रस्थान करेंगी. जिसका परिणाम संसार में रोग तथा शोक का योग बनेगा. वहीं डुमरांव में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 मार्च को शाम 4 बजकर 27 मिनट से शुरू होगी. इसके साथ ही तिथि का समापन 30 मार्च को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट पर होगा. इसके बाद द्वितीय तिथि प्रारंभ हो जायेगी. उदया तिथि के अनुसार चैत्र नवरात्रि 30 मार्च दिन रविवार से शुरू होगी कल यानी रविवार से हिंदू नव वर्ष की प्रारंभ हो रहा है जिसमें सम्वत् 2082 प्रारंभ होगा चैत्र नवरात्र जिसको बसंती नवरात्रि भी कहते हैं. 30 मार्च से शुरू होकर सात मार्च को नवरात्रि का समापन होगा पंडित विमलेश ओझा ने बताया कि उदया काल प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापना करना विशेष फलदायक है. कलश स्थापन करने का समय सुबह सूर्योदय से लेकर दोपहर 2 बजकर 14 मिनट तक किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि कलश स्थापन का समय प्रतिपदा तिथि में ही करना चाहिए इस वर्ष नवरात्रि आठ दिनों का लग रहा है क्योंकि पंचमी तिथि का हास्य हुआ है. इस बार माताजी का आगमन हाथी पर हो रहा है जो अति शुभ फलदायक मना गया है. इस वर्ष माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही है. इससे वर्षा बहुत सुंदर एवं अच्छा होने का अनुमान है. पंडित ने बताया कि पांच अप्रैल दिन शनिवार की रात्रि में महा अष्टमी का कलश स्थापन एवं पूजा की जाएगी इसी दिन अष्टमी का व्रत भी किया जाएगा. अगले दिन छह अप्रैल दिन रविवार को पारण, हवन एवं रामनवमी मनाई जाएगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

