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Buxar News: आज होगी महागौरी की आराधना

वासंतिक नवरात्र के क्रम में शुक्रवार को शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की उपासना की गई

बक्सर

. वासंतिक नवरात्र के क्रम में शुक्रवार को शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की उपासना की गई. शक्ति उपासक वैदिक विधि-विधान के साथ मंत्रोच्चार के बीच मां भगवती के पूजन-अर्चन किए औद दुर्गा सप्तशती का पाठ किए.

पूजा-पाठ के दौरान मंदिरों व घरों में घंटे-घड़ियाल एवं शंख ध्वनि गूंजते रहे. धूप व पुष्प की भीगी खुशबू से मंदिर आबाद हो गए. माता रानी के दर्शन-पूजन को लेकर मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. घरों में महिलाओं द्वारा महाअष्टमी की निशा पूजा शनिवार की रात की जाएगी. इस अवसर पर महिलाएं देवी गीतों के बीच कलश स्थापन कर पारंपरिक तरीके से मां महागौरी की पूजा करेंगे और पकवान व खीर आदि बनाकर भोग लगाएंगी. शुक्रवार को महानिशा पूजा की तैयारियां पूरी कर ली गईं. इसको लेकर मिट्टी के कलश, दीये व ढकनी आदि सामानों की खरीदारी की गई. घरों की साफ-सफाई भी किए गए. पूजा सामग्रियों की खरीदारी के लिए किराना दुकानों में भीड़ लगी रही. जिससे बाजार भी गुलजार रहे. जाहिर है कि चैती नवरात्र के आठवें दिन चैत्र शुक्लपक्ष अष्टमी तिथि की रात को मां महागौरी की निशा पूजा की जाती है.प्रखंड के विभिन्न देवी मंदिरों में सुबह 4 बजे से लगी रही भक्तों की भीड़ डुमरांव . चैत्र नवरात्र के पावन अवसर पर छठवें दिन इलाके के विभिन्न क्षेत्रों में भक्तिभाव का माहौल बना रहा, जहां शहर सहित प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में छठवें दिन अहले सुबह 4 बजे लोगों के घरों तथा आसपास के देवी मंदिरों में मां छठवें रूप की मां कात्यायनी देवी की पूजा की गयी. शुक्रवार को गांव की पगडंडियों तथा गलियों में महिलाओं की टोली की चहलकदमी सुबह चार बजे से ही शुरू हो गयी थी. इसके साथ ही छोटी-छोटी बच्चियों में भी पूजा करने को लेकर उत्साह देखने को मिला. लोगों ने बताया कि जब से चैत्र नवरात्र का आगमन हुआ है

उसी पहले दिन से ही गांवों के काली मंदिरों तक जाने वाला रास्ता गुलजार होने लगा है. श्रद्धालुओं ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान है. छठा दिन होने के कारण इस दिन की पूजा का विशेष महत्व है. चैत्र नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा की स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है. मां कात्यायनी ऋषि कात्यायन की तपस्या के फल स्वरुप उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुई थी, इसी रूप में मां ने महिषासुर का वध किया था. देवी मां की उपासना करने से सहजता, धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, इन चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है. यह दानवों, असूरों तथा पापी जीवधारियों का नाश करने वाली देवी भी कहलाती है. सांसारिक स्वरूप में यह शेर यानी सिंह पर सवार चार भुजाओं वाली, सुज्जित आभा मंडल युक्त देवी है. जिनके पूजा से सभी कष्ट दूर होते हैं.

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