बक्सर. जमीन निबंधन की ऑनलाइन प्रक्रिया के शुरू होने के बाद अब मुगलकाल से चले आ रहे उर्दू व फारसी के शब्द हट गये हैं. सरकार ने आम लोगों की भाषा में दस्तावेजों का मॉडल प्रारूप तैयार किया है. इसके माध्यम से खरीदार स्वयं अपनी भाषा के अनुरूप दस्तावेज तैयार कर निबंधन करा रहे हैंं. अब देवनागरी में अंकित हो रहे इ-निबंधन दस्तावेज लोगों की समझ में आ रहे हैं और इसका व्यापक लाभ मिल रहा. हिंदी शब्दकोश के शब्द समझने में भी काफी आसान हैं. राजस्व विभाग की शब्दावली में जो शब्द अभी तक प्रचलित हैं, उनका युग जा चुका है. इन शब्दों का इस्तेमाल जब कागजों में किया जाने लगा था, तब यह आम बोलचाल का हिस्सा थे. अब इन्हें लाने वाले और समझने वाले दोनों ही नहीं हैं. केवल राजस्व विभाग के अधिकारी, कर्मचारी या रजिस्ट्री लिखने वाले ही इन्हें जानते हैं. आमजन को कोई संशोधन कराना हो तो भी इन्हीं का सहारा लिया जाता है. अब इसमें बदलाव होने से 40 से 50 वर्ष बाद की पीढ़ी इन दस्तावेजों को आसानी से समझ सकेगी. दस्तावेज में अब बदल गए उर्दू व फारसी के शब्द मन मोकिर, वैलैहुम, किस्म, वासिका, तायदाद, एराजी, जायजाद, मुखाने, तस्दीक जैसे शब्द को बदल दिये गये हैं. इ-निबंधन दस्तावेजों के जरिये जमीन की खरीद करने वाले स्वयं इसका निर्माण कर रहे हैं. जमीन निबंधन के लिए बनने वाले दस्तावेजों में लंबे समय से बड़ी संख्या में उर्दू व फारसी के शब्दों का व्यवहार होता चला आ रहा था. पूर्व में कातिब द्वारा लिखे जाने व टाइपिंग के दौरान निबंधन दस्तावेजों में उर्दू व फारसी के शब्दों का ही इस्तेमाल होता था. अब ऑनलाइन होने वाले निबंधन दस्तावेजों में सभी शब्दों को देवनागरी में होने से लोगों के समझने में आसानी होती है. वहीं जमीन की खरीद-बिक्री करने वाले इसे आसानी से समझकर अपना हस्ताक्षर भी कर देते हैं. सभी प्रक्रिया ऑनलाइन होने से लोगों का समय भी बच रहा है.
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