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buxar news : गेहूं की बोआई के 20 से 25 दिन बाद करें पहली सिंचाई

buxar news : वीर कुंवर सिंह कृषि कॉलेज के प्राध्यापक ने किसानों को दी जानकारी

buxar news : डुमरांव. गेहूं की फसल की पहली सिंचाई क्राउन रूट इनिशिएशन अवस्था पर, यानी बोइाई के 20 से 25 दिन बाद करनी चाहिए. इस विषय पर जानकारी देते हुए वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय, डुमरांव के कृषि वैज्ञानिक-सह-प्राध्यापक डॉ प्रदीप कुमार ने बताया कि गेहूं की खेती के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है जब जड़ें निकलती हैं और नमी की कमी से उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए इस समय खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखना जरूरी है. इसके बाद दूसरी सिंचाई 40 से 45 दिन और तीसरी 60 से 65 दिन पर करें.

सिंचाई की मुख्य क्रांतिक अवस्थाएं

– ताजमूल अवस्था : बोआई के 20 से 25 दिन बाद सबसे महत्वपूर्ण

– कल्ले निकलने की अवस्था : बोआई के 40 से 45 दिन बाद- गांठ बनने की अवस्था : बोआई के 60 से 65 दिन बाद

– फूल आने से पहले : बोआई के 80 से 85 दिन बाद- दूधिया अवस्था (दाना भरते समय) : बोआई के 105 से 110 दिन बाद

अतिरिक्त सुझाव

यदि पानी कम है, तो पहली सिंचाई 21 से 25 दिन और दूसरी 35 से 40 दिन पर करें, इससे भी अच्छा उत्पादन मिल सकता है. मिट्टी के अनुसार रेतीली मिट्टी में छह से आठ हल्की सिंचाई और भारी मिट्टी में चार गहरी सिंचाई की जरूरत हो सकती है. तापमान बढ़ने पर, यदि मार्च व अप्रैल माह में तापमान बढ़ता है, तो एक से दो अतिरिक्त हल्की सिंचाई करें. तापमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को गेहूं की देर से बोआई जल्दी करने की सलाह दी जाती है. वहीं बीज दर : 125 किग्रा प्रति हेक्टेयर, अनुशंसित किस्में : डी 3059, एचडी 3237, एचडी 3271, एचडी 3117, डब्ल्यूआर 544, पीबीडब्ल्यू 373 बीज को बाविस्टिन एक ग्राम या थीरम 2.0 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज से उपचारित करना चाहिए, दीमक के प्रकोप की बारहमासी समस्या वाले खेतों में, बोआई से पहले सिंचाई पूर्व पानी या क्लोरपाइरीफॉस (20EC) पांच लीटर प्रति हेक्टेयर के छिड़काव की सिफारिश की जाती है. एनपीके के लिए उर्वरक की अनुशंसित खुराक 80, 40 और 40 किग्रा प्रति हेक्टेयर है.

पहली और आखिरी सिंचाई उत्पादन पर डालती है असर

वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय, डुमरांव के कृषि वैज्ञानिक सह प्राध्यापक डॉ प्रदीप कुमार ने कहा कि गेहूं में सिंचाई बोआई के 20 से 25 दिन बाद टिलरिंग/कल्ले निकलने पर, फिर 40 से 45 दिन बाद कल्ले बनने पर, 60 से 65 दिन पर गांठ बनने पर, 85 से 90 दिन पर दाने भरने पर और ज़रूरत पड़ने पर आखिरी सिंचाई 105 से 110 दिन पर करनी चाहिए, कुल 4 से 5 सिंचाई पर्याप्त होती हैं, जो मिट्टी और मौसम पर निर्भर करती हैं, खासकर पहली और आखिरी सिंचाई सबसे अधिक उत्पादन प्रभावित करती है.

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