बक्सर कोर्ट. राष्ट्रीय लोक अदालत न्यायालय में लंबित मामलों के निष्पादन को न सिर्फ गति देता है बल्कि सामाजिक समरसता को बनाने में भी बहुत हद तक मदद करता है. यह एक ऐसा मंच है जहां दोनों पक्ष आपसी सहमति और परस्पर मेल के साथ मामलों को समझौते के आधार पर निष्पादित कराने में सफल हो जाते हैं. ऐसे कई मामले देखने को मिलते हैं जो छोटे होने के बावजूद बरसों बरस से न्यायालय में लंबित है जिससे पक्षकारों की आर्थिक क्षति होती है साथ ही समय की भी बर्बादी होती है. उक्त बातें प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार हर्षित सिंह ने व्यवहार न्यायालय परिसर में वर्ष के चौथे एवं अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्घाटन समारोह के दौरान कहीं. इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय मनोज कुमार प्रथम, अपर समाहर्ता अरुण कुमार, पुलिस उपाधीक्षक ने लोगों को संबोधित किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार नेहा दयाल ने किया. उद्घाटन समारोह में पॉक्सो के विशेष न्यायाधीश अमित कुमार शर्मा, न्यायाधीश प्रवीण कुमार श्रीनेत, नेहा त्रिपाठी, संघ के महासचिव बिंदेश्वरी प्रसाद पांडे के अलावे अन्य कई न्यायिक एवं प्रशासनिक पदाधिकारी तथा न्यायालय कर्मी उपस्थित थे. वर्ष के आखिरी राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 1673 मामलों का निष्पादन किया गया जिसमें चार करोड़ 2 लाख 37 हजार 406 के समझौता राशि पर हस्ताक्षर किया गया. इस अवसर पर बैंक के 575, यातायात के 647, आपराधिक 134, विद्युत संबंधित 240 एवं परिवहन के 6 मामले समझौते के आधार पर निष्पादित किए गए. बनाये गये थे 13 बेंच : वर्ष के चौथे एवं आखिरी राष्ट्रीय लोक अदालत को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा कुल 13 बेंच बनाए गए थे प्रत्येक बेंच पर एक न्यायिक पदाधिकारी के अलावा एक पैनल अधिवक्ता एवं साथ ही पराविधिक स्वयंसेवकों की नियुक्ति की गयी थी. बेंच संख्या एक से 13 तक क्रमशः न्यायिक पदाधिकारी मनोज कुमार प्रथम, मनीष कुमार शुक्ला, सुदेश कुमार श्रीवास्तव, संजीत कुमार सिंह, देवराज, सोनेलाल रजक, कमल कुमार, मानस कुमार वत्सल, देवेश कुमार, महेश्वर नाथ पांडे, नेहा त्रिपाठी, ज्योत्सना ज्योति, चंदन कुमार न्यायिक पदाधिकारी के रूप में उपस्थित थे वहीं पैनल अधिवक्ता के रूप में क्रमशः प्रमोद कुमार, अखिलेश्वर दुबे, राजीव कुमार मिश्रा, सुरेश प्रसाद, ज्योति शंकर, धर्मेंद्र कुमार, मोहम्मद जावेद अख्तर, राघव कुमार पांडे, विष्णुदत्त, दीपिका कुमारी, अनिल कुमार, प्रमिला पाठक, आरती कुमारी, रवि रंजन ने अपना अपना योगदान दिया. वहीं पीएलबी शत्रुघ्न सिन्हा, कविंद्र पाठक, मदन प्रसाद, प्रेम प्रकाश चौबे, गजेंद्र दुबे, राधेश्याम, सरोज कुमार के अलावे लोक अदालत के सहायक दीपेश कुमार, सुधीर कुमार, सुनील कुमार, सुमित कुमार, अकबर अली, मनोज कुमार व अविनाश कुमार ने सहयोग दिया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

