बक्सर/डुमरांव : चार दिवसीय छठ महापर्व मंगलवार को नहाय- खाय के साथ शुरू हो गया. महापर्व से पूर्व श्रद्धालुओं ने घर की साफ-सफाई करने के साथ स्वयं को भी शुद्ध करने के साथ व्रत संपन्न किया. सूर्य की उपासना का पर्व छठ हिंदू नववर्ष के पहले माह चैत्र के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है.
Advertisement
नहाय-खाय के साथ महापर्व शुरू
बक्सर/डुमरांव : चार दिवसीय छठ महापर्व मंगलवार को नहाय- खाय के साथ शुरू हो गया. महापर्व से पूर्व श्रद्धालुओं ने घर की साफ-सफाई करने के साथ स्वयं को भी शुद्ध करने के साथ व्रत संपन्न किया. सूर्य की उपासना का पर्व छठ हिंदू नववर्ष के पहले माह चैत्र के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया […]
इस पर्व में व्रती सूर्य भगवान की पूजा कर उनसे आरोग्यता, संतान और मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद मांगते हैं. इसको लेकर व्रतियों ने मंगलवार को नहाय-खाय के साथ इस महापर्व की शुरुआत की. नहाय-खाय में व्रती लौकी की सब्जी और अरवा चावल का प्रसाद ग्रहण किया.
वहीं बुधवार को व्रती खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर गुरुवार को भगवान भास्कर को सायंकालीन अर्घ 11 देंगी तथा शुक्रवार 12 अप्रैल को उदीयमान सूर्य को अर्घ के साथ अनुष्ठान संपन्न करेंगी. छठपूजा को लेकर शहर के सती घाट, रामरेखा घाट आदि घाटों की साफ-सफाई करने में लोग जुट गये हैं.
डुमरांव प्रतिनिधि के अनुसार सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व चैती छठ मंगलवार से नहाय-खाय से शुरू हुआ. लोक आस्था के महापर्व चैती छठ के पहले दिन व्रती महिला-पुरुष ने नहाय खाय के संकल्प के तहत नदियों-तालाबों के निर्मल जल में स्नान करने के बाद अरवा भोजन ग्रहण कर इस व्रत को शुरू किया.
हालांकि चैती छठ में व्रतियों की संख्या अधिक नहीं होती है, लेकिन छठ पर्व के लिए चर्चित छठिया पोखर पर इसके लिए तैयारी शुरू हो जाती है. समिति सदस्य छठ पर्व के दिन व्रतियों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए रोशनी व ध्वनि विस्तार यंत्र की व्यवस्था करते हैं. व्रती बुधवार को दिन भर निर्जला उपवास के बाद सूर्यास्त होने पर भगवान सूर्य की पूजा कर एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खायेंगे और 35 घंटे का निराहार निर्जला व्रत शुरू हो जायेगा. गुरुवार को सायंकालीन में पहला अर्घ और शुक्रवार को दूसरा अर्घ प्रातः दिया जायेगा.
इसके लिए व्रती अपने घर की साफ-सफाई करने के बाद नहाय खाय के साथ व्रत प्रारंभ किया. महापर्व छठ को लेकर बाजार में चहल-पहल देखने को मिला. व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदियों और तालाबों में खड़े होकर फल और कंद मूल से पहला अर्घ देंगे और उनके पारण करने के बाद व्रत की समाप्ति होगी.
मान्यता के अनुसार नहाय खाय के बाद व्रती खरना प्रसाद का ग्रहण करती है. जो गुड़ व चावल से युक्त रहता है. कुछ व्रती ईख के रस से युक्त खीर बनाकर खरना का प्रसाद ग्रहण करती है. छठ स्वच्छता और शुद्धता का पर्व है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement