बक्सर : रोजी-रोटी की तलाश में सात समंदर पार गये बक्सर के युवकों की जान अब भी खतरे में है. कंपनी काम के नाम पर युवकों का शोषण कर रही है. युवकों को न तो ठीक से खाना मिल रहा है और न ही पीने को पानी नसीब हो रहा है. ऐसे में युवकों के विरोध पर पिटाई भी की जा रही है. इस सबंध में वहां फंसे युवक अरमान अंसारी ने प्रभात खबर से स्वदेश वापसी की गुहार लगायी थी. प्रभात खबर में प्रमुखता से खबर छपने के बाद एजेंट ने उसके एक अन्य साथी के साथ स्वदेश वापस बुला लिया है.
बतादें कि जिले के करीब 40 युवक कतर में नौकरी के लिये गये हैं, जहां उन्हें सैलरी कम दिया जा रहा है और विरोध करने पर कंपनी यातनाएं भी दे रही थी. इस बीच हिम्मत जुटाकर केसठ प्रखंड के किरनी गांव निवासी अरमान अंसारी ने प्रभात खबर से गुहार लगायी थी. इसलिए उनदोनों को एजेंट ने वापस बुला लिया.
अब भी फंसे हैं 38 नौजवान : कतर में फंसे जितेंद्र कुमार ने बताया था कि ज्यादा काम करने व गंदा पानी पीने से चार युवकों की मौत हो गयी है. वहीं, कंपनी ने 10 को जेल भेजवा दिया है. कई युवक बीमार भी पड़े हैं. इंडियन एंबेसी से भी रिहा करने की गुहार लगायी है, लेकिन इंडियन एंबेसी ने एक महीने का समय मांगा है. शनिवार को सभी कतर पुलिस से सहायता मांगने पहुंचे थे, लेकिन पुलिस ने भी हाथ खड़े कर दिए. युवकों का कहना है कि बक्सर प्रशासन अगर पहल करे, तो उनकी जान बच सकती है.
सेंट्रिंग, कारपेंटर व प्लंबर के नाम पर नौकरी : युवकों ने बताया कि डुमरांव प्रखंड के अरियांव गांव के रहनेवाले अरविंद सिंह उर्फ मैना सिंह ने उन्हें सेंट्रिंग व कारपेंटर के लिए 11 सौ रियाल प्रतिमाह तथा वेल्डर, इलेक्ट्रिशियन तथा वेल्डर के लिए प्रतिमाह 13 सौ रियाल देने का एग्रीमेंट किया था, लेकिन मुंबई में रॉयल कंस्ट्रक्शन कंपनी में ट्रेनिंग देने के बाद उन्हें कतर भेजा गया, जिसमें एग्रीमेंट के आधार पर भुगतान नहीं किया जा रहा है.