बिहारशरीफ. कैंसर, स्कीन व आइ मरीजों का इलाज मॉडल सदर अस्पताल में नहीं हो पा रहा है. जिलेभर से इन रोगों से पीड़ित मरीज यहां इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. अस्पताल के दवा काउंटर पर लाइन लगकर रजिस्ट्रेशन (पर्ची) भी कटाते हैं. लेकिन जब पर्ची लेकर ओपीडी में पहुंचते हैं तो वहां मालूम होता है कि इन रोगों के विशेषज्ञ चिकित्सक इस अस्पताल में नहीं हैं. मजबूरन ऐसे मरीज घर को लौटने को मजबूर हो रहे हैं. तत्पश्चात, परिजनों की रायशुमारी के बाद शहर के निजी अस्पतालों एवं क्लिनिकों में जाकर इलाज कराने को मजबूर हो रहे हैं. निर्धन मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी : कैंसर, स्कीन व आइ से पीड़ित निर्धन तबके के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है़ ऐसे मरीजों की आर्थिक स्थिति इस कदर कमजोर होती है कि वह बामुश्किल पौष्टिक भोजन कर पाते हैं. ऊपर से उक्त रोग से पीड़ित होने के बाद उनकी परेशानी तब बढ़ जाती है जब उन्हें सरकारी अस्पताल में इलाज व दवा की सुविधा नहीं मिल पाती है़ निजी अस्पतालों व क्लिनिकों में ऐसे रोग के इलाज के लिए उन्हें मोटी फीस व दवा एवं जांच आदि के लिए बड़ी राशि खर्च करने की विवशता बन जाती है़ स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता में लापरवाही : मॉडल सदर अस्पताल के निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं. चकाचक बिल्डिंग एवं कई अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण भी उपलब्ध हैं. स्टाफ से लेकर सुरक्षा कर्मी काम करते हैं. लेकिन कुछ विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण ओपीडी में पीड़ित मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है़ यह समस्या न केवल मरीजों के लिए चुनौतीपूर्ण है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में भी कमी का कारण बन रही है. विशेषज्ञ चिकित्सकों का पद है रिक्त : स्कीन, कैंसर एवं आई रोग के विशेषज्ञ चिकित्सक का पद फिलहाल रिक्त है. इस वजह से ऐसे मरीजों का समुचित इलाज यहां उपलब्ध नहीं है़ लेकिन ओपीडी में ऐसे रोग से पीड़ित मरीज जब पहुंचते हैं, तो उनकी स्क्रीनिंग की जाती है जिसके बाद रोग कंफर्म होने पर उनके समुचित इलाज के लिए दूसरे बड़े सरकारी अस्पताल में भेजा जाता है़ डॉ कुमकुम, उपाधीक्षक, मॉडल सदर अस्पताल, बिहारशरीफ –
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