बिहारशरीफ. पावापुरी स्थित भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान (विम्स) में इंटर्न डॉक्टर मंगलवार से बेमियादी हड़ताल पर चले गये हैं.
इसके कारण अस्पताल की ओपीडी सेवा पूरी तरह से ठप हो गयी है. हालांंकि इस बेमियादी हड़ताल के बीच राहत की बात यह है कि इमरजेंसी सेवा पूर्ववत की तरह चालू रहेगी, ताकि आकस्मिक इलाज के लिए भर्ती हो रहे मरीजों के इलाज में कोई दिक्कत न हो और ऐसे मरीजों की भी जान बच सके. बेमियादी हड़ताल पर गये इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि हमलोग पिछले दो माह से अपनी जायज मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं. लेकिन इस ओर सरकार व विम्स प्रबंधन ने कोई ध्यान नहीं दिया. इसलिये हमलोग विवश होकर बेमियादी हड़ताल पर हैं.अभी 20 हजार रुपये मिल रहा इंटर्नशिप स्टाइपेंड
हमलोग इंटर्नशिप स्टाइपेंड 40 हजार रुपये करने की मांग कर रहे हैं. हड़ताल में शामिल इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि हमलोगों को फिलहाल 20 हजार रुपये मासिक ही इंटर्नशिप दिया जा रहा है, जबकि हमलोग 12 घंटे की डयूटी पूरी ईमानदारी के साथ करते हैं. इसलिए हमलोगों की मांग है कि न्यूनतम 40,000 रुपये मासिक स्टाइपेंड दिया जाये. इंटर्न डॉक्टरों का आरोप है कि नियमानुसार हर तीन साल में इंटर्नशिप स्टाइपेंड बढ़ाने का प्रावधान है, लेकिन इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. साथ ही हमलोग लगातार काम के दबाव और अपर्याप्त वेतन से परेशान हैं.पिछले दो माह से चल रहा संघर्ष
विम्स अस्पताल में बेमियादी हड़ताल पर गये इंटर्न डॉक्टरों ने बताया कि पिछले दो महीने से वे विभिन्न माध्यमों से अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे थे. कई बार पत्राचार और अन्य औपचारिक तरीकों से संपर्क करने के बावजूद भी जब कोई सकारात्मक पहल नहीं दिखी, तो उन्हें हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ा. इस दौरान इंटर्न डॉक्टरों ने बताया कि इमरजेंसी मरीजों का इलाज जारी रखा जायेगा, लेकिन नियमित ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी.ओपीडी ठप रहने से मरीजों की बढ़ी परेशानी
अस्पताल में इएनटी, स्किन, आंख, दांत, कैंसर, हड्डी, शिशु रोग समेत कई रोगों की ओपीडी सेवा अचानक बंद हो जाने से यहां पहुंच रहे मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. प्रतिदिन यहां तकरीबन डेढ़ से दो हजार मरीज ओपीडी में इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. नालंदा समेत पड़ोसी जिला शेखपुरा एवं नवादा से भी बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं. लेकिन, बेमियादी हड़ताल की वजह से अब ऐसे मरीजों को घर लौटने या फिर निजी क्लिनिकों व अस्पतालों में जाने की विवशता बन गयी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

