इस अभियान की खास बात यह है कि डेढ़ माह तक चलने वाले इस कार्यक्रम में उन बच्चों की पहचान की जाएगी, जिन्हें नियमित टीकाकरण के तहत अब तक कोई भी टीका नहीं मिला है. जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राजेन्द्र चौधरी ने बुधवार को सदर अस्पताल सभागार में आयोजित कार्यशाला में सभी स्वास्थ्य कर्मियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि एक भी बच्चा टीका से वंचित नहीं रहना चाहिए.
समाज की भागीदारी से बनेगा अभियान सफल
डॉ. चौधरी ने कहा कि नियमित टीकाकरण को सफल बनाने में समाज की भागीदारी बेहद अहम है. इस अभियान के तहत विशेष रूप से वंचित और पिछड़े वर्गों तक पहुंचने पर जोर रहेगा. उन्होंने बताया कि प्रत्येक गांव में आशा, एएनएम और पीसीआई के प्रखंड समन्वयक की मदद से 0 डोज और पैंटा 1 डोज जैसे अहम टीके समय पर दिलवाए जाएंगे. यूनिसेफ और पीसीआई देंगे तकनीकी सहयोगइस कार्यशाला में यूनिसेफ और पीसीआई के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया. यूनिसेफ के प्रतिनिधि अहमद खान, पीसीआई के राज्य प्रतिनिधि कामता पाठक, संस्कृति भारद्वाज, यूनिसेफ के एमएमसी चंद्रभूषण कुमार, कोऑर्डिनेटर संजय कुमार, गीतिका शंकर सहित अन्य विशेषज्ञों ने स्वास्थ्यकर्मियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए.
उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान न केवल घर-घर जाकर बच्चों की सूची तैयार की जाएगी, बल्कि अभिभावकों को जागरूक करने के लिए समुदाय स्तर पर संवाद और सूचना प्रसार गतिविधियां भी चलाई जाएंगी.
बच्चों का स्वास्थ्य, समाज की प्राथमिकताइस अभियान का उद्देश्य सिर्फ शत-प्रतिशत टीकाकरण नहीं, बल्कि समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और सहयोग की भावना को भी मजबूत करना है. विभाग की मानें तो यह प्रयास जिले में शिशु मृत्यु दर को घटाने और संक्रमण से होने वाली बीमारियों पर नियंत्रण पाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा.
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