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नालंदा बनेगा भारत-आसियान ज्ञान सेतु, पीएम ने की घोषणा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुआलालंपुर में आयोजित 22वें आसियान–भारत शिखर सम्मेलन में एक ऐतिहासिक घोषणा किया है.

राजगीर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुआलालंपुर में आयोजित 22वें आसियान–भारत शिखर सम्मेलन में एक ऐतिहासिक घोषणा किया है. उन्होंने कहा है कि नालंदा विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर साउथ ईस्ट एशियन स्ट्डीज की स्थापना की जायेगी. यह निर्णय भारत की एक्ट इस्ट नीति को नयी गति देने और दक्षिण–पूर्व एशिया के देशों के साथ शैक्षणिक, सांस्कृतिक तथा रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत और आसियान देशों का संबंध हजारों वर्ष पुराना है. यह संबंध न केवल व्यापार और समुद्री संपर्कों से जुड़ा है, बल्कि साझा संस्कृति, दर्शन, बौद्ध परंपरा और ज्ञान पर आधारित है. नालंदा विश्वविद्यालय एक समय विश्व का सबसे बड़ा शिक्षा केंद्र था. वह फिर से ज्ञान के पुनर्जागरण का प्रतीक बन रहा है. इस केंद्र की स्थापना से भारत और आसियान देशों के बीच संयुक्त शोध, नीति संवाद और क्षेत्रीय विशेषज्ञता को नई दिशा मिलेगी. यह प्रस्तावित केंद्र ईस्ट एशिया सम्मिट फ्रेमवर्क के अंतर्गत काम करेगा. इसका उद्देश्य भारत और दक्षिण–पूर्व एशियाई देशों के बीच नीतिगत सहयोग, शिक्षा विनिमय कार्यक्रम, छात्र–शिक्षक आदान-प्रदान तथा सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देना है. इससे क्षेत्रीय स्तर पर बौद्धिक सहयोग, वैश्विक मुद्दों पर साझा विचार-विमर्श और नीति निर्माण में गहराई आयेगी. नालंदा विश्वविद्यालय ने प्रधानमंत्री की इस घोषणा का हार्दिक स्वागत किया है. कुलपति प्रो सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि हम इस निर्णय से अत्यंत प्रसन्न हैं. यह न केवल नालंदा विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास से मेल खाता है, बल्कि भारत की विदेश नीति और सांस्कृतिक कूटनीति को भी सशक्त करेगा. नालंदा का आसियान देशों से प्राचीन काल से गहरा संबंध रहा है. चाहे वह बौद्ध धर्म के प्रचार के माध्यम से हो या विद्या के आदान–प्रदान से. उन्होंने कहा कि यह नया केंद्र भारत और आसियान देशों के बीच सभ्यतागत साझेदारी को और मजबूत करेगा. यहां एशिया के इतिहास, राजनीति, संस्कृति, अर्थव्यवस्था और पर्यावरणीय मुद्दों पर अनुसंधान को प्रोत्साहन मिलेगा. नालंदा विश्वविद्यालय पहले से ही अंतरराष्ट्रीय शिक्षा और सांस्कृतिक संवाद का केंद्र बन चुका है. अब साउथ इस्ट एशियन स्ट्डीज सेंटर की स्थापना से यह वैश्विक स्तर पर एशियाई सहयोग और ज्ञान विनिमय का प्रमुख मंच बन जायेगा. प्रधानमंत्री की यह पहल भारत की वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को साकार करते हुए भारत-आसियान संबंधों को एक नयी ऊंचाई प्रदान करेगी.

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