राजगीर. शहर के बिहार खेल विश्वविद्यालय के पहले लोकपाल सेवानिवृत्त न्यायाधीश मनोज कुमार बनाये गये हैं. मनोज कुमार समस्तीपुर में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) रह चुके हैं. यह नियुक्ति यूजीसी (छात्रों की शिकायतों का निवारण) विनियम, 2023 के तहत की गयी है. श्री कुमार को तीन वर्षों की अवधि के लिए या जबतक वे 70 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर लेते हैं, जो भी पहले हो, पदभार ग्रहण करने की तिथि से नियुक्त किया गया है. इस आशय की अधिसूचना कुलपति शिशिर सिन्हा के आदेश से परीक्षा नियंत्रक सह संकाय अध्यक्ष निशिकांत तिवारी द्वारा जारी किया गया है. तिवारी ने बताया कि लोकपाल के इस नियुक्ति से विश्वविद्यालय में छात्रों की शिकायतों के निवारण की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी. उनकी सेवा शर्तें, शक्तियां एवं कार्य प्रणाली यूजीसी के नियमानुसार होंगी. यह नियुक्ति विश्वविद्यालय प्रशासन की छात्र हितों के प्रति प्रतिबद्धता और न्यायिक प्रक्रियाओं को मजबूती देना है. निशिकांत तिवारी ने बताया कि बिहार खेल विश्वविद्यालय, राजगीर द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए विश्वविद्यालय के लोकपाल की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की गयी है. सात मई को हुई विश्वविद्यालय की बैठक के बाद यह अधिसूचना जारी की गयी है. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के सक्षम प्राधिकारी द्वारा मनोज कुमार, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (सेवानिवृत्त), समस्तीपुर को तीन वर्ष की अवधि के लिए या जब तक वे 70 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर लेते, इनमें जो भी पहले हो, तक के लिए लोकपाल के रूप में नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति पदभार ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी मानी जायेगी. लोकपाल की सेवा से संबंधित सभी शर्तें, शक्तियां, दायित्व, कार्य प्रणाली, अपील की प्रक्रिया एवं उनके अधिकार, यूजीसी के 2023 विनियमों के अनुसार निर्धारित होंगे. इन विनियमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्रों की शिकायतों का समयबद्ध, निष्पक्ष एवं पारदर्शी ढंग से समाधान किया जा सके. इससे विश्वविद्यालय परिसर में न्यायसंगत वातावरण बनेगा. इस अधिसूचना को कुलपति के अनुमोदन से जारी किया गया है जो इस निर्णय की आधिकारिकता और वैधता को दर्शाता है. इस नियुक्ति से यह अपेक्षित है कि छात्रों की शिकायतों का निपटारा एक स्वतंत्र एवं अनुभवी न्यायिक अधिकारी की निगरानी में अधिक प्रभावी तरीके से हो सकेगा. तिवारी ने कहा कि यह कदम विश्वविद्यालय प्रशासन की छात्र हितों के प्रति प्रतिबद्धता तथा शासन व्यवस्था को पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.
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