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जिले में स्वच्छता शुल्क वसूली में ढिलाई से बढ़ रही स्वच्छता कर्मियों की मुश्किलें

जिले की ग्राम पंचायतों में स्वच्छता शुल्क वसूलने की गति काफी धीमी है, जिसके चलते स्वच्छता कर्मियों को उनका मानदेय समय पर नहीं मिल पा रहा है.

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बिहारशरीफ. जिले की ग्राम पंचायतों में स्वच्छता शुल्क वसूलने की गति काफी धीमी है, जिसके चलते स्वच्छता कर्मियों को उनका मानदेय समय पर नहीं मिल पा रहा है. वित्तीय वर्ष 2022-23 तक जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतों में लोहिया स्वच्छता कार्यक्रम नियमित रूप से चल रहा था, लेकिन अब स्वच्छता शुल्क न जमा होने के कारण कर्मियों को भुगतान में देरी हो रही है. हालांकि कुछ दिन पूर्व दो साल का बकाया मानदेय स्वच्छता कर्मियों को दिया गया है. फिलहाल ग्राम पंचायतों में नियमित रूप से घर-घर से कूड़ा उठाने के लिए एक सुपरवाइजर, दो कर्मी, एक स्वच्छता मित्र, एक ई-रिक्शा चालक और एक सहायक चालक की नियुक्ति की गयी है. जिले में इस कार्य में लगभग 6,000 से अधिक कर्मी शामिल हैं, जिनके मानदेय पर प्रति माह लगभग 15 लाख रुपये खर्च होते हैं. इस राशि का आधा हिस्सा स्वच्छता शुल्क से और आधा बिहार सरकार द्वारा वहन किया जाना है. इन कर्मियों की निगरानी के लिए जिला जल एवं स्वच्छता समिति द्वारा ग्राम पंचायत क्रियान्वयन समिति का गठन किया गया है, जिसमें मुखिया, पंचायत सचिव, दो वार्ड सदस्य, एक महिला सदस्य और दो मनोनीत सदस्य शामिल हैं. हालांकि, अब तक यह समिति और जिला स्वच्छता अधिकारी 100 प्रतिशत ग्राम पंचायतों से स्वच्छता शुल्क वसूलने में विफल रहे हैं. इसकी वजह से कर्मियों को उनका मानदेय समय पर नहीं मिल पा रहा है. कुछ कर्मियों को तो बीते दो साल का भुगतान कुछ दिन पहले ही मिला है. स्वच्छता शुल्क न वसूल पाने के कारण कई ग्राम पंचायतों के कर्मियों ने समय पर मानदेय न मिलने के कारण काम करना बंद कर दिया है. विभागीय अधिकारियों के अनुसार, शुरुआती एक साल तक ग्राम पंचायतों में स्वच्छता का पूरा खर्च सरकार उठाती है, लेकिन उसके बाद प्रत्येक घर से कूड़ा उठाने के बदले 30 रुपये प्रति माह स्वच्छता शुल्क वसूलना अनिवार्य है. हालांकि, क्रियान्वयन समिति और अधिकारी इस शुल्क को वसूलने में गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं, जिसका खामियाजा स्वच्छता कर्मियों को भुगतना पड़ रहा है. स्वच्छ भारत मिशन एवं बिहार लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत चल रहे इस कार्यक्रम की सफलता के लिए जरूरी है कि ग्राम पंचायतें स्वच्छता शुल्क की वसूली को गंभीरता से लें, ताकि कर्मियों को उनका हक समय पर मिल सके और स्वच्छता व्यवस्था बाधित न हो.

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