36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

बिहार का यह सरकारी विद्यालय बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलों को देता है मात, कभी लगती थी अंग्रेजों की कचहरी

रोहतास जिले में एक ऐसा सरकारी विद्यालय है जिसकी खुबसूरती और सुविधाएं देखकर आप एक पल के लिए तो चौंक जाएंगे. स्कूल का कैंपस बड़े-बड़े नामी विश्वविद्यालय और कॉलेज कैंपसों को मात देता है.

बिहार के सरकारी स्‍कूलों की जब भी बात आती है, तो लोगों के दिमाग में जो पहली तस्वीर उभरती है. वह है टूटे भवन, अव्यवस्थित व्यवस्था और स्कूल के शिक्षकों की लापरवाही. लेकिन ऐतिहासिक रूप से सबल और वर्तमान में नक्सली वारदातों से प्रभावित रोहतास जिले में एक ऐसा सरकारी विद्यालय जिसकी खुबसूरती और सुविधाएं देखकर आप एक पल के लिए तो चौंक ही जाएंगे. दरअसल, स्कूल का कैंपस बड़े-बड़े नामी विश्वविद्यालय और कॉलेज कैंपसों को मात देता है. स्कूल के कैंपस में प्रवेश करने पर आपको ऐसा लगेगा कि आप जैसे देश के किसी नामी विश्वविद्यालय या फिर राजधानी पटना के किसी बड़े प्राइवेट स्‍कूल के परिसर में प्रवेश कर रहे हों.

गीता, उपनिषद और वेदों का अध्ययन करते हैं नौनिहाल

स्थानीय लोगों की मानें तो इस स्कूल में एक भी एक भी संस्कृत का शिक्षक नहीं है. बावजूद स्कूल के बच्चे गीता उपनिषद तथा वेदों का अध्ययन करते हैं. बच्चों को गीता, उपनिषद व वेदों को अध्ययन करते एक पल आप भी चौंक जाएंगे कि आप महाभारत काल में है या फिर रामायण काल में. बता दें कि यह स्कूल रोहतास के तिलौथू प्रखंड में स्थित है. आजकल यह विद्यालय अपनी खुबसूरती के लिए सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय का बना हुआ है.

Untitled
बिहार का यह सरकारी विद्यालय बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलों को देता है मात, कभी लगती थी अंग्रेजों की कचहरी 2
आजादी के पहले हुआ था विद्यालय का निर्माण

तिलौथू प्रखंड में स्थित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की स्थापना आजादी के पूर्व यानी सन 1932 में किया गया था. आज यह विद्यालय 90 साल का हो चुका है, लेकिन आज भी स्कूल का किलानुमा भवन अपनी खुबसूरती से बरबस ही लोगों को अपनी ओर आर्कषित करता है. कतारबद्ध बड़े-बड़े पेड़ और क्यारियों में लगे विभिन्न किस्म के हरे-भरे फूल के पौधे स्कूल की खुबसूरती में चार चांद लगाते हैं.

विद्यालय में लगती थी कभी अंग्रेजों की कचहरी

स्थानीय बजुर्ग बताते हैं कि यह स्कूल दिखने में जितना खुबसूरत है. उसका ऐतिहासिक विरासत उतना ही सबल है. कैमूर पहाड़ी के तलहटी में नक्सल प्रभावित इलाके में स्थित इस विद्यालय में कभी अंग्रेजों की कचहरी लगा करती थी. वहीं, शिक्षा की बात करें तो वर्तमान में इस विद्यालय में लगभग 2500 बच्चे पढ़ते हैं. खास बात यह है कि स्कूल में जब सरकार के द्वारा संस्कृत शिक्षक की बहाली नहीं की गई तो, स्कूल प्रबंधन ने निजी स्तर पर स्कूल में एक संस्कृत शिक्षक को रखा है. जो बखूबी नौनिहालों को वैदिक शिक्षा का ज्ञान देते हैं.

गजब है शिक्षकों का समर्पण भाव

ऐतिहासिक रूप से सबल इस विद्यालय में कई शिक्षक ऐसे हैं जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं. इसके बावजूद शिक्षकों का समर्पण भाव ऐसा है कि वे प्रतिदिन नौनिहालों को मुफ्त में पढ़ाते हैं. विद्यालय के शिक्षकों के मेहनत का परिणाम ऐसा ही कि इस विद्यालय के छात्र जिले में लागातार अव्वल रहते हैं.

विद्यालय में बनाया जाएगा स्विमिंग पूल

स्कूल के प्राचार्य विद्यालय के बारे में बताते हैं कि स्कूल में व्यवस्थित व्यवस्था जिला प्रशासन व ग्रामीणों के सहयोग से ही संभव है. आने वाले कुछ महीनों में इस विद्यालय का अपना स्विमिंग पूल होगा, जहां बच्चे तैराकी सीखेंगे. जिला मुख्यालय से दूर नक्सल प्रभावित इलाके में होने के बावजूद यह स्‍कूल पूरी तरह से व्‍यवस्थित है.

संसाधन का रोना रोने वाले शिक्षकों के लिए नजीर

गौरतलब है कि सुदूरवर्ती तथा नक्सल प्रभावित इलाके में होने के बावजूद यह सुव्यवस्थित विद्यालय वैसे विद्यालयों के लिए नजीर है, जो संसाधन का रोना रोते हैं. शिक्षकों और छात्रों के इच्छा शक्ति से सीमित संसाधन में भी बेहतर व्यवस्थाएं की जा सकती हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें