Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान समाप्त हो चुका है. फर्स्ट फेज की वोटिंग में औसतन 60% से अधिक का मतदान दर्ज किया गया है. 2025 के चुनाव में एक तरफ करोड़ों-अरबों की दौलत वाले उम्मीदवारों की लिस्ट है, तो दूसरी तरफ ऐसा चेहरा भी सामने है जो बिल्कुल आम जिंदगी से निकला है. जिनके पास संपत्ति के नाम पर शून्य है. न कोई गाड़ी, न बैंक बैलेंस और न ही कोई जमीन. दरअसल, मायावती की पार्टी बसपा ने बिहार चुनाव में पीरपैंती विधानसभा सीट से एक ऐसे ही कैंडिडेट को चुनावी मैदान में उतारा है, जिसके पास शून्य संपत्ति है. पीरपैंती से बसपा ने सुनील कुमार चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया है.
कौन हैं सुनील कुमार चौधरी?
सुनील कुमार चौधरी, जिनकी उम्र 40 साल है. वह भागलपुर जिले के पीरपैंती विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. वर्तमान में वह सबौर प्रखंड के खानकीतता पंचायत के मुखिया हैं. उन्होंने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई पीरपैंती से ही की है. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नामांकन हलफनामे में सुनील कुमार चौधरी ने अपनी कुल संपत्ति “शून्य” लिखी है. इसका सीधा मतलब होता है-
- ना जमीन
- ना घर-फ्लैट
- ना बैंक में पैसा
- ना जेवर
- ना वाहन
इन सब के अलावा उनके खिलाफ कोई आपराधिक केस भी नहीं है.
सुनील कुमार चौधरी के हलफनामे को विस्तार से देखें…
बिहार चुनाव 2025 में ऐसे और उम्मीदवार
ADR (Association for Democratic Reforms) की रिपोर्ट में कुछ और उम्मीदवारों के नाम का भी जिक्र है, जिनके पास संपत्ति बेहद कम है. उनमें से कुछ के नाम नीचे है-
- गया जिले के वजीरगंज सीट से मूलनिवासी समाज पार्टी के प्रत्याशी सुरेश राजवंशी के पास सिर्फ 1,100 रुपये की चल संपत्ति है. वही, अचल संपत्ति जीरो है.
- मधुबनी के बेनीपट्टी से निर्दलीय प्रत्याशी पंकज कुमार राम के पास सिर्फ 2,000 रुपये की चल संपत्ति है. जमीन-घर नहीं है.
- पूर्वी चंपारण के पिपरा क्षेत्र से निर्दलीय राजमंगल प्रसाद के पास भी 2,000 रुपये की कुल संपत्ति ही हलफनामे में दर्ज है.
पीरपैंती विधानसभा सीट के बारे में…
पीरपैंती विधानसभा भागलपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत रिजर्व सीट है. बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित पीरपैंती विधानसभा पर अभी भाजपा का कब्जा है. इस विधानसभा में 3 लाख 77 हजार से अधिक वोटर हैं. जिसमें पुरुष 19 हजार से अधिक पुरुष मतदाता हैं जबकि महिला वोटरों की संख्या 18500 से अधिक है. थर्ड जेंडर वोटरों की संख्या गिनी चुनी है.
2000 में राजद का झंडा पहली बार गड़ा (Pirpainti Assembly Election)
पीरपैंती विधानसभा सीट पर वर्ष 2000 से पहले कम्युनिष्ट पार्टी और कांग्रेस का कब्जा रहा. दोनों के प्रत्याशी ही यहां से जीतते रहे. वामदल के विधायक रहे अंबिका प्रसाद यहां के चर्चित नेता रहे हैं. 2000 के चुनाव में इस सीट पर राजद का खाता खुला. आरजेडी के प्रत्याशी शोभाकांत मंडल यहां से तीन बार जीते. 2005 में दो बार चुनाव हुआ. दोनों बार राजद प्रत्याशी के तौर पर उन्हें जीत मिली.
पहली बार 2010 में भाजपा को मिली जीत (Pirpainti Vidhan Sabha)
2010 में भाजपा ने इस सीट पर पहली बार कब्जा जमाया. बीजेपी की ओर से अमन कुमार प्रत्याशी बनाए गए थे. जो यहां से भाजपा के पहले विधायक बने. 2015 के चुनाव में भाजपा ने अमन कुमार का टिकट काटा और ललन कुमार को प्रत्याशी बना लिया. जिसके बाद राजद ने भाजपा को पटखनी दे दी और आरजेडी से रामविलास पासवान विधायक बने. इस चुनाव में रामविलास को 80 हजार से अधिक वोट मिले थे जबकि भाजपा के ललन कुमार को 75 हजार के करीब वोट मिले थे.
भाजपा में प्रत्याशी को लेकर उठापटक
2020 के विधानसभा चुनाव में सबकी नजरें भाजपा पर टिकी थीं. पूर्व विधायक अमन कुमार को भी टिकट की आस थी. लेकिन पार्टी ने फिर से ललन कुमार को ही प्रत्याशी बनाया. जिसके बाद अमन कुमार ने पार्टी से बगावत की और निर्दलीय प्रत्याशी बनकर मैदान में उतर गए. हालांकि इसका कुछ खास असर नहीं हुआ और राजद के रामविलास पासवान को हराकर भाजपा के ललन कुमार फिर से पीरपैंती के विधायक बने. ललन कुमार को इस चुनाव में 95811 वोट मिले.वहीं रामविलास पासवान को 68817 वोटों से संतोष करना पड़ा. इधर, अमन कुमार ने बाद में फिर से बीजेपी ज्वाइन कर लिया.

