परिजनों की बढ़ी चिंता घटनास्थल के लिए रवाना हुए घरवाले
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मायूसी. इंदौर से शादी समारोह में भाग लेने घर आ रहे थे श्रीभगवान सिंह
परिजनों की बढ़ी चिंता घटनास्थल के लिए रवाना हुए घरवाले आरा : पटना-इंदौर एक्सप्रेस हादसे में भोजपुर का भी एक व्यक्ति लापता है, जिसका अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है. रेल हादसे की सूचना मिलते ही परिजन किसी अनहोनी की आशंका से डरे और सहमे हुए हैं. परिजनों ने फोन भी कई बार […]
आरा : पटना-इंदौर एक्सप्रेस हादसे में भोजपुर का भी एक व्यक्ति लापता है, जिसका अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है. रेल हादसे की सूचना मिलते ही परिजन किसी अनहोनी की आशंका से डरे और सहमे हुए हैं. परिजनों ने फोन भी कई बार लगाया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया. थक-हार कर परिजन कानपुर के लिए रवाना हुए.
उदवंतनगर थाना क्षेत्र के नवादा बेन गांव निवासी श्रीभगवान सिंह इंदौर से अपने एक रिश्तेदार कोइलवर थाना क्षेत्र के सकड्डीन गांव में शादी समारोह में भाग लेने के लिए पटना-इंदौर एक्सप्रेस से एसी कोच नंबर दो से आ रहे थे. जिनके बारे में अब तक कोई सूचना नहीं मिल पायी है. परिजनों ने बताया कि उनका मोबाइल पुलिस को प्राप्त हुई है, जिससे उनकी बात हुई. लेकिन श्रीभगवान सिंह के बारे में कोई भी पता नहीं चल पाया है. परिजन घटनास्थल के लिए रवाना हो गये हैं. इस घटना के बाद से अनहोनी की आशंका से सहमे हुए हैं.
हादसे के बाद ट्रेनों के परिचालन पर भी पड़ा असर : कानपुर के पुखराया के समीप हुए पटना-इंदौर एक्सप्रेस ट्रेन हादसे के कारण रेलवे के परिचालन पर काफी असर पड़ा है. कई ट्रेनें सात घंटे से लेकर 19 घंटे लेट से आरा स्टेशन पहुंची. इस कारण यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. ट्रेनों की सही जानकारी नहीं मिलने के कारण पूछताछ कर्मियों के साथ यात्रियों की नोक-झोंक हुई.
इन ट्रेनों के परिचालन पर पड़ा असर : पटना-इंदौर एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त होने से डाउन में आनेवाली लगभग आधा दर्जन ट्रेनें अपने निर्धारित समय से सात से 19 घंटे विलंब से आरा स्टेशन पहुंची. इनमें नॉर्थ इस्ट एक्सप्रेस, पंजाब मेल, महानंदा एक्सप्रेस, गरीब रथ, फरक्का सहित आधा दर्जन ट्रेनें शामिल हैं. रविवार को अमूमन स्टेशन पर भीड़ कम रहती थी लेकिन पटना-इंदौर एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद स्टेशन पर काफी गहमा-गहमी थी.
लोग बार-बार ट्रेनों की स्थिति की जानकारी लेने के लिए पूछताछ केंद्र में जा रहे थे. सुबह से ही स्टेशन परिसर में लोगों की भीड़ देखी जा रही थी. लोगों में अफरा-तफरी का माहौल कायम था. रेलवे द्वारा किसी प्रकार की कोई हेल्पलाइन नंबर या अलग से पूछताछ काउंटर नहीं बनाया गया था.
बाल-बाल बचे आरा के इंजीनियर संजीव
इंदौर से भाई की शादी समारोह में शिरकत करने आ रहे थे. हादसे के चश्मदीद इंजीनियर संजीव अपने आपको खुशनसीब मान रहे हैं. दूरभाष पर संजीव से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि सुबह के तीन बजकर ग्यारह मिनट हुए थे. लोग अभी पूरी तरह नींद के आगोश में थे. मैं एसी बी-वन में सफर कर रहा था कि अचानक तेज आवाज के साथ ही सामान गिरने शुरू हो गये. लोग कुछ समझ पाते कि एक-दूसरे पर गिरने लगे. ट्रेन पटरी से उतरने के बाद काफी देर तक सरकते हुए लगभग तीन सौ फुट तक चली गयी. हादसे के बाद बोगी की सभी लाइटें बुझ गयी थीं. अंधेरे में कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था. सिर्फ चारों तरफ चीख- पुकार ही मची हुई थी. संजीव ने बताया कि इंदौर से भाई की शादी में शामिल होने के लिए आरा आ रहे थे. उन्होंने बताया कि जैसे ही ट्रेन हादसा हुआ. घर के लोगों का फोन आना शुरू हो गया. किसी तरह आधे घंटे के बाद मोबाइल से घरवालों को सूचना दी गयी. परिजनों से बातचीत होने के बाद जी में जी आया. घरवालों ने भगवान की लाख-लाख शुक्रिया अदा की.
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