जिले में बढ़ीं पुलिस पर हमले की घटनाएं
आरा : पुलिस छापेमारी करने जा रही है, इसकी सूचना घटनास्थल पर पहुंचने के पहले ही शराब कारोबारियों तक पहुंच जाती है. इसके पहले कारोबारी भाग खड़े होते हैं. इसके बाद पुलिस को खानापूर्ति कर वापस लौटना पड़ता है.
अवैध शराब कारोबारियों द्वारा हाल के दिनों में छापेमारी करने गयी पुलिस पर जिस तरह से हमला किया गया है, यह बताने के लिए काफी है कि इनके हौसले कितने बुलंद हैं. अगर किसी कारोबारी को पुलिस पकड़ भी लेती है, तो कई बार उसे हमला कर छुड़ा लिया गया है. पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जेल भी भेजती है. फिर भी इन पर पुलिस-प्रशासन का कोई खौफ नहीं दिखता है. इनकी पकड़ इतनी मजबूत है कि छापेमारी के पहले ही इसकी सूचना उन तक पहुंच जाती है. इसके बाद वे आराम से फरार हो जाते हैं.
बनायी गयी थी टीम
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सत्यवीर सिंह ने अवैध शराब कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए इस धंधे में संलिप्त लोगों की गिरफ्तारी के लिए अल्टरनेट छापेमारी की व्यवस्था की थी. इसमें दूसरे थाने की पुलिस दूसरे थाना क्षेत्र में जाकर छापेमारी करेगी. ऐसी व्यवस्था होने के बाद बहुत हद तक अवैध शराब कारोबार पर अंकुश लगा था. ऐसे में छापेमारी की सूचना भी स्थानीय पुलिस को नहीं लगती थी और कारोबारी पकड़े जाते थे.
कई बार हो चुका है हमला
अवैध शराब कारोबारी पुलिस तथा उत्पाद विभाग की टीम पर कई बार हमला कर चुके हैं. कारोबारियों के हमले में पुलिस अधिकारी तथा जवान जख्मी भी हुए हैं. हाल के दिनों में अवैध शराब कारोबारियों द्वारा किये गये पुलिस पर हमले से यह स्पष्ट है कि इनके हौसले बुलंद है. गत दिनों उदवंतनगर पुलिस अवैध शराब कारोबारियों के खिलाफ जब मलथर गांव में छापेमारी की, तो शराब कारोबारियों ने एकजुट होकर पुलिस पर पथराव कर दिया. इस घटना में चार जवान जख्मी हो गये थे. पकड़े गये कारोबारी को भी छुड़ा लिया गया था. वहीं, जगदीशपुर के कहथु गांव तथा संदेश थाना क्षेत्र के भटौली गांव में भी अवैध शराब कारोबारी पुलिस पर हमला कर चुके हैं.
कार्रवाई का नहीं रहता डर
पुलिस हमले के बाद कारोबारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करती है. इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर गैर जमानती धाराएं लगाती हैं. फिर भी जेल से रिहा होने के बाद आरोपित धंधे में संलिप्त हो जाते हैं. प्रशासन की कार्रवाई का असर इन पर नहीं दिखता है.
