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जीरो टिलेज गेहूं प्रत्यक्षण का लक्ष्य नहीं हुआ पूरा, परेशानी

आरा : कृषि कार्य के लिए सर्वोत्तम पद्धतियों में जीरो टिलेज गेहूं प्रत्यक्षण पद्धति एक है.पर जिले में इसकी स्थिति दयनीय है. निर्धारित लक्ष्य काफी दूर है. इससे किसानों को काफी परेशानी हो रही है वैज्ञानिक पद्धति से की जाने वाली खेती का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है. पारंपरिक खेती से जीरो टिलेज […]

आरा : कृषि कार्य के लिए सर्वोत्तम पद्धतियों में जीरो टिलेज गेहूं प्रत्यक्षण पद्धति एक है.पर जिले में इसकी स्थिति दयनीय है. निर्धारित लक्ष्य काफी दूर है. इससे किसानों को काफी परेशानी हो रही है वैज्ञानिक पद्धति से की जाने वाली खेती का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है. पारंपरिक खेती से जीरो टिलेज गेहूं प्रत्यक्षण पद्धति से खर्च भी कम आता है और ऊपर भी अधिक होती है.

इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जीरो टिलेज से खेत की तैयारी में पारंपरिक खेती की अपेक्षा 15 सौ से 2000 रुपये तक प्रति एकड़ की बचत हो सकती है. जिले में अभी तक 50 प्रतिशत से अधिक गेहूं की खेती हो चुकी है पर 5 प्रतिशत किसान भी जीरो टिलेज से खेती नहीं कर पाये हैं
किसानों की आमदनी दोगुना करने की कवायद में है सरकार : सरकार किसानों की आमदनी को दोगुना करने की बात कह रही है. इसके लिए कई तरह की योजनाएं भी चलायी जा रही हैं.
वही किसानों से वैज्ञानिक तरीके से खेती करने की बात कही जा रही है, लेकिन वैज्ञानिक तरीके से खेती के लिए चलायी जा रही योजनाएं जब धरातल पर ही नहीं उतरेंगी तो किसानों की हालत कैसे सुधरेगी. उनकी आमदनी कैसे दोगुना होगी, यह पहेली जैसा लग रहा है.
जीरो टिलेज से होने वाला लाभ : जीरो टिलेज से खेती करने पर बीज की संख्या कम लगेगी. इससे समय के साथ-साथ रुपये की भी बचत होगी. जीरो टिलेज से मृदा संरचना एवं मृदा की क्षमता बनी रहती है. इससे गेहूं के पौधे की पैदावार अच्छी होती है.
इससे फसल अवशेष जलाने से भी मुक्ति मिलेगी. वही जीरो टिलेज मशीन से गेहूं की बुआई 10-15 दिन पहले की जा सकती है.वहीं इससे विधि से बुआई करने पर गेहूं के पौधों के जड़ों की पकड़ अच्छी रहती है. इससे पौधा जमीन पर नहीं गिरता है.
जिले में होती है 90921 हेक्टेयर गेहूं की खेती : जिले में कुल 90921 हेक्टेयर में गेहूं की खेती की जाती है. इससे किसान पूरे वर्ष के खर्च निकालते हैं.पर जब कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी नहीं होगी तो उनके आर्थिक स्थिति और भी कमजोर हो जाएगी.
नहीं किया जाता है प्रचार -प्रसार : वैज्ञानिक तरीके से खेती करने को लेकर जिले में प्रचार-प्रसार की काफी कमी है. किसानों में अभी भी जागरूकता की काफी कमी है. कृषि यांत्रिकीकरण योजना की सफलता धरातल पर नहीं पहुंच पा रही है. काफी कम संख्या में किसानों को कृषि यंत्र उपलब्ध हो पाये हैं. इस कारण किसान वैज्ञानिक तरीके से खेती नहीं कर पा रहे हैं. विभाग द्वारा सक्रियता से इस पर काम करने की आवश्यकता है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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