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प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर से बन रहे तत्काल टिकट, दलालों की चांदी

आरा : विभिन्न ट्रेनों के तत्काल टिकट को लेकर आरक्षण काउंटरों पर मारामारी हो रही है, तो दूसरी तरफ साइबर कैफे वाले प्रतिबंधित साॅफ्टवेयर के जरिये तत्काल टिकट चंद सेकेंड में तैयार कर दे रहे हैं और एक तत्काल टिकट पर पांच सौ से एक हजार रुपये तक अवैध रूप से वसूली कर रहे हैं. […]

आरा : विभिन्न ट्रेनों के तत्काल टिकट को लेकर आरक्षण काउंटरों पर मारामारी हो रही है, तो दूसरी तरफ साइबर कैफे वाले प्रतिबंधित साॅफ्टवेयर के जरिये तत्काल टिकट चंद सेकेंड में तैयार कर दे रहे हैं और एक तत्काल टिकट पर पांच सौ से एक हजार रुपये तक अवैध रूप से वसूली कर रहे हैं.

ऐसी सूचना भी मिली है कि अब ऐसे साइबर कैफे वाले सीआइबी के रडार पर हैं और उन पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है. प्राप्त जानकारी के अनुसार सीआइबी की टीम अपने मुखबिरों के जरिये इन तक पहुंचने में जुटी है.
विदित हो कि वैवाहिक कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए बाहर काम-धंधा कर रहे लोग अपने घर आये थे. अब वे गंतव्य को जाने के लिए तैयार हैं, लेकिन लंबी रूट की ट्रेनों में सीट पहले से ही फुल हैं.
ऐसे में लोगों के सामने तत्काल टिकट ही सहारा है, लेकिन तत्काल टिकट लोगों को आरक्षण काउंटर से नहीं मिल पा रहा है. बमुश्किल एक से दो टिकट ही निकल पाते हैं. ऐसे में साइबर कैफे वालों से एक का तीन देकर लोग तत्काल टिकट ले रहे हैं. वे तत्काल टिकट प्रतिबंधित साॅफ्टवेयर के जरिये बना रहे हैं.
ऐसे कार्य करता है प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर: पहले आइआरसीटीसी से टिकट बनाने के लिए दलाल मिर्ची सॉफ्टवेयर का प्रयोग करते थे. इस सॉफ्टवेयर को प्रतिबंधित करते हुए रेलवे ने अभियान चलाकर कार्रवाई की, तो सॉफ्टवेयर का नाम बदल कर दलालों ने एएनएमएस सॉफ्टवेयर कर दिया. बताया जाता है कि रेलवे के पास दो सर्वर हैं.
एक से काउंटर टिकट बनता है और दूसरा आइआरसीटीसी पर चलता है. आइआरसीटीसी पर लोग व्यक्तिगत आइडी बनाकर तत्काल से लेकर सामान्य टिकट बुक करते हैं. एक आइडी पर एक माह में केवल पांच टिकट ही बनाये जा सकते हैं. इसलिए दलाल फर्जी नाम पर 30 से अधिक आइडी बनाकर उससे टिकट बनाते हैं.
बता दें कि भोजपुर मुख्यालय समेत अनुमंडल में टिकट दलाल यात्रियों को मूर्ख बनाकर मोटी रकम वसूल रहे हैं. ऐसे टिकट दलालों को पकड़ने के लिए एक टीम बनी हुई है और उन्हें चिह्नित करने का कार्य भी शुरू कर दी है. पटना के सीआइबी अधिकारियों का कहना है कि साइबर कैफे वालों को चिह्नित किया जा रहा है. जल्द ही ऐसे दलालों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.

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