शुक्रवार को मारवाड़ी समाज का प्रसिद्ध लोक पर्व गणगौर शुरू हो जायेगा. महिलाएं सुबह में गणगौर की पूजा करेंगी. यह प्रसिद्ध पर्व होलिका दहन के दूसरे दिन से शुरू होकर चैती नवरात्र की तृतीया के दिन संपन्न होगा. मारवाड़ी बहुल मोहल्ले चुनिहारी टोला, दही टोला लेन, मारवाड़ी टोला लेन, लहरी टोला, मंदरोजा, बूढ़ानाथ रोड, गुरुद्वारा रोड आदि में शुक्रवार से 16 दिनों तक माता गणगौर का पूजन होगा. होलिका दहन की राख से महिलाएं पिंड बना कर पूजा करती हैं. फिर सात दिन के बाद बासेड़ा शीतला अष्टमी को लकड़ी अथवा मिट्टी के बने ईसर और गौरा यानी कि शिव और पार्वती को गणगौर के रूप में घर लाया जाता है. गणगौर की पूजा की जाती है. इसी दिन से शाम को भी पूजा शुरू हो जाती है. मारवाड़ी टोला लेन की करुणा चुड़ीवाला, मोनू जालान, राधा तुलस्यान ने बताया कि मिट्टी के पात्र में पांच प्रतिमा बनायी जाती है. झौवा कोठी की अनुराधा खेतान ने बताया कि पूजन में घर व आसपास की सुहागिन महिलाएं सोलह शृंगार कर शामिल होती हैं. साथ ही कुंवारी युवतियां भी पूजा करती हैं. पूजन के बाद भोग लगाया जाता है. महिलाओं ने बताया कि मारवाड़ी समाज की वैसी युवतियां, जो पहली बार शादी के बाद होली पर अपने मायका आती है और अपने सुहाग की रक्षा के लिए माता गणगौर की पूजन करती है. शिवजी को इस्सर के रूप में एवं पार्वती को गौरा, कार्तिक को कानिराम, कार्तिक की पत्नी को मालन व गणेश जी की रौआ के रूप में पूजा होती है. नयी दुल्हनों के घर उत्साह से मनता है पर्व नयी नवेली दुल्हनों के घर में यह पर्व खासा उत्साह से मनाया जाता है. मां और सास के द्वारा सिंधारा किया जाता है, जिसमें बहू बेटियों का सत्कार किया जाता है. उनके हाथों में मेहंदी रचायी जाती है. परंपरा है कि बहू बेटी का पहला गणगौर मायके में होता है, पर सुविधा के अभाव में यह ससुराल में भी किया जा सकता है.
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