सुलतानगंज के चार पंचायतों में गुरुवार को महिला संवाद कार्यक्रम हुआ. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं अपनी आंकांक्षा और विकास को लेकर अपने विचार को साझा किया. कई योजनाओं में अपेक्षित सुधार की जरूरत पर बल दिया. सरकार की योजनाओं से लाभान्वित महिलाएं अपने अनुभव को बताया व लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. अब तक जीविका के 26 ग्राम संगठनों में महिला संवाद हो चुका है. आजीविका विशेषज्ञ डॉ अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि सुलतानगंज के विभिन्न गांवों में महिला संवाद कार्यक्रम में अब तक कुल आठ हजार से ज्यादा महिलाएं हिस्सा ले चुकी हैं. आयोजन में शामिल महिलाओं को वीडियो फिल्म से सरकार की ओर चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में बताया जा रहा है. खुले संवाद कार्यक्रम में महिलाएं अपनी मन की आकांक्षाओं को सरकार से साझा कर रही हैं. लोगों की आकांक्षाओं की ऑनलाइन प्रविष्टि की जा रही है. सरकार इसके समाधान के लिए अपनी नीतियों में इसका समावेशन करेगी. नयी नीतियों के निर्माण में जन आकांक्षाओं को जगह मिलेगी. मौके पर आजीविका विशेषज्ञ डॉ अंजनी कुमार सिंह, एरिया को-ऑर्डिनेटर पारस कुमार, राहुल रावत, सुजीत कुमार, राहुल कुमार, माधुरी कुमारी, संगीता कुमारी, पुतुल कुमारी, रेखा कुमारी व अन्य कैडर मौजूद थे. मत्स्यजीवी सहयोग समिति के मंत्री पद का चुनाव रद्द बिहपुर प्रखंड मत्स्यजीवी सहयोग समिति लिमिटेड, भागलपुर के मंत्री पद पर 28 जून 2022 को हुए चुनाव को लेकर चल रहे विवाद पर न्यायालय, संयुक्त निबंधक, सहयोग समितियां, भागलपुर प्रमंडल ने अपना फैसला सुनाया है. न्यायालय ने चुनाव को अवैध मानते हुए रद्द कर दिया है. वादी बिहपुर मत्स्यजीवी सहयोग समिति के पूर्व मंत्री पप्पू कुमार सिंह उर्फ पप्पू सिंह निषाद ने आरोप लगाया था कि विजयी अभ्यर्थी भगवान प्रसाद सिंह पर सहकारिता से जुड़े मामलों में प्राथमिकी के तहत नवगछिया न्यायालय में दांडिक कार्यवाही लंबित है, जिसमें संज्ञान लिया जा चुका है. निर्वाचन पदाधिकारी ने नामांकन पर दर्ज आपत्ति का विधिवत निस्तारण नहीं किया. वादी ने आरोप लगाया है कि उन्हें आवंटित चुनाव चिह्न ‘लेडी पर्स’ पूर्णतः काले रंग का था, जबकि मतपत्र में मुद्रित चिह्न काले और उजले रंग में था, जिससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति बनी. यह तकनीकी त्रुटि निर्वाचन प्रक्रिया की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है. न्यायालय ने बिहार सहकारी समिति अधिनियम, 1935 की धारा 23(1)(च) का उल्लेख करते हुए कहा कि जिस व्यक्ति पर सहकारी संव्यवहार से संबंधित संज्ञानित दांडिक मामला लंबित हो, वह प्रबंध समिति के लिए अयोग्य होता है. इन सभी तथ्यों और प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने चुनाव को निष्पक्ष न मानते हुए रद्द कर वाद का निस्तारण कर सभी संबंधितों को आदेश की जानकारी देने का निर्देश दिया.
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