बाढ़ के बाद जलस्तर घटने व धान की कटनी शुरू होने के बाद भागलपुर प्रक्षेत्र में हवा में धूलकण बढ़ने और वाहनों की संख्या बढ़ने से प्रदूषण बढ़ने से सांस व चर्म मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. विशेषज्ञों की मानें तो भागलपुर शहर गंगा के तट पर बसा एक ऐतिहासिक शहर है, लेकिन दिनोंदिन गंगा प्रदूषित होती जा रही है. कचड़े के अंबार से गंगा भरती जा रही है. गाद से गंगा खुद भर चुकी है. ऐसे में पेयजल की गुणवत्ता नीचे जा रही है. गंगा के तट पर बसे मोहल्लों में कई घरों में पीने लायक पानी नहीं आ पा रहा है. चार से छह घंटे पानी रखने में ही पानी पीला व लाल हो जाता है. इसका एक मात्र कारण गंगा का प्रदूषित होना है. भागलपुर के तीन क्षेत्रों में धान की कटनी के बाद तैयारी शुरू होने पर धूल के कण व कई स्थानों पर कचरों को जलाने से प्रदूषण बढ़ा रहा है.
चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ शंकर ने बताया कि प्रदूषण से इंफेक्शन होता है. खुद का केयर नहीं करने से चर्म रोगी बढ़ते हैं. सुबह 10 से दोपहर दो बजे तक धूप से यूवी-ए रे आते हैं. सन स्क्रीन लगाने की जरूरत है. पौष्टिक भोजन में प्रोटीन वाले भोजन, हरी सब्जी व फल लेने की जरूरत है. प्रदूषण से 20 प्रतिशत तक मरीज बढ़ गये हैं. अभी धनकटनी के दौरान डस्ट उड़ता है. इससे एलर्जी की बीमारी बढ़ रही है. मुंह व नाक पर मास्क लगाने की जरूरत है. ठंड से कोल्ड एलर्जी हो रहे हैं. अभी गर्म कपड़ा में रहना होगा. थोड़ी भी लापरवाही कई बीमारियों का कारण बन सकती है.
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