ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन (एआइबीओसी) बिहार राज्य इकाई ने सरकार की बैंकिंग नीतियों पर गंभीर आपत्ति जताते हुए कहा है कि हाल के वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्रीय बैंकों के ढांचे और संचालन को धीरे-धीरे निजीकरण की दिशा में ले जाया जा रहा है. संगठन का कहना है कि सरकार द्वारा लागू किए गए बैंक विलय, एकीकरण, प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआइ) और निजी क्षेत्र के निदेशकों की नियुक्ति जैसी नीतियां सुधार के नाम पर बैंकों की सार्वजनिक प्रकृति को कमजोर कर रही है. आइबॉक के सचिव अमरेश विक्रमादित्य ने बताया कि वर्ष 2021 से 2025 के बीच बैंक कर्मचारियों की संख्या में लगभग 10 प्रतिशत की कमी आयी है, जबकि बैंकिंग कारोबार 250 लाख करोड़ से अधिक बढ़ गया है. वर्ष 2013 में जहां क्लेरिकल स्टाफ की संख्या 4 लाख थी, वहीं अब घटकर 2.5 लाख रह गयी है. इसके अलावा एक लाख से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी नियमित पदों पर कार्य कर रहे हैं, जिससे नयी नियुक्तियों पर रोक लग गयी है और आरक्षित वर्गों के लिए अवसरों में भारी कमी आयी है. आइबॉक बिहार राज्य इकाई की मांगें 1. सार्वजनिक बैंकों के विलय, निजीकरण तथा निजी क्षेत्र के अधिकारियों की नियुक्ति पर तत्काल रोक लगायी जाये. 2. सभी स्वीकृत पदों पर भर्ती की जाये और आरक्षण नीति का सख्ती से पालन हो. 3. पीएलआइ योजना के क्रियान्वयन से पहले त्रिपक्षीय चर्चा अनिवार्य की जाये. 4. बैंक बोर्ड में कर्मचारियों और अधिकारियों का प्रतिनिधित्व बहाल किया जाये. 5. सार्वजनिक बैंकों के सामाजिक चरित्र की रक्षा के लिए वैधानिक सुरक्षा दी जाये.
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