तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में आधा दर्जन से अधिक कुलपति बदल गये, लेकिन सेंट्रल लाइब्रेरी का ऑटोमेशन नहीं हो सका. जबकि सभी कुलपतियों ने लाइब्रेरी का एक नहीं कई बार निरीक्षण और ऑटोमेशन का दावा किया, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. वर्ष 2016 में विवि का मूल्यांकन करने आयी टीम ने ऑटोमेशन सहित कई बिंदुओं पर काम कराने का निर्देश दिया था. दूसरी तरफ विवि में पिछले कुछ सालों का आंकड़ा देखा जाये, तो रिसर्च संबंधित प्रोजेक्ट पर काम काफी कम हुए हैं.
वर्ष 2016 में रिसर्च में आगे था विवि
विवि में आधा दर्जन से अधिक कुलपति आये व चले गये
विवि के एक अधिकारी ने बताया कि पूर्व कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे का कार्यकाल वर्ष 2017 में पूरा हुआ था. इसके बाद से कई प्रभारी कुलपति सहित नियमित कुलपति के रूप में प्रो एनके झा, प्रो नीलिमा गुप्ता, प्रो विभाष चंद्र झा, प्रो जवाहर लाल रहे, लेकिन लाइब्रेरी का ऑटोमेशन नहीं सका.
विवि से बी ग्रेडिंग में मिला था अधिक प्वाइंटमानविकी व सोशल साइंस संकाय में रिसर्च कम
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक पूर्व डीन ने बताया कि साइंस संकाय के कुछ विभाग में रिसर्च काम थोड़ा बहुत जारी है, लेकिन मानविकी व सोशल साइंस संकाय के अंतर्गत रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम नहीं के बराबर हो रहा है. रिसर्च संबंधित प्रकाशन भी काफी कम है.
बोले विवि के अधिकारी लाइब्रेरी का ऑटोमेशन से संबंधित प्रक्रिया प्रोसेस में है. आने वाले दिनों में इस दिशा में काम शुरू किया जायेगा. तत्कालीन कुलपति ने इस दिशा में कुछ काम शुरू कराया था. इसी बीच उनका कार्यकाल पूरा हो गया. विवि प्रशासन को पूरे मामले को अवगत कराया जायेगा.डॉ आनंद कुमार झा, प्रभारी इंचार्ज लाइब्रेरी
विवि प्रशासन, अधिकारी व शिक्षकों को मिलकर काम करने की जरूरत है. इसे गंभीरता से लेना होगा. लाइब्रेरी का ऑटोमेशन का काम को प्रमुखता से करने की जरूरत है. रिसर्च के क्षेत्र में भी विवि को काम करना होगा. इसके लिए बैठक कर इस दिशा में विचार करने की आवश्यकता है. प्रो एलसी साहा, पूर्व प्रभारी कुलपतिडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

