अंग क्षेत्र की लोककला मंजूषा का महत्व बढ़ता जा रहा है. पिछले पांच साल से राजपथ पर गणतंत्र दिवस के परेड में मंजूषा कला का प्रदर्शन हो रहा है, तो जीआइ टैग लगने के बाद अब हैदराबाद युनिवर्सिटी के शिक्षक व छात्र लोक कला मंजूषा व अन्य संबंधित कला में नारी सशक्तीकरण व मातृत्व को जानेंगे. इसे लेकर आइसीएसएसआर शोध प्रोजेकट के तहत भागलपुर आये और मंजूषा गुरु मनोज पंडित के साथ मंजूषा कला प्रशिक्षण केंद्र बरारी में विद्यार्थियों व शिक्षकों से मिले. इसके बाद भागलपुर के विभिन्न स्थानों पर जाकर जानकारी जुटायी. भागलपुर पहुंचे प्रो डॉ शीला सूर्य नारायणन ने बताया कि लोक कला मंजूषा के साथ लोकनृत्य झिझिया के एक-एक जानकारी जुटायी गयी. यहां की स्थानीय भाषा व संस्कृति से अवगत हुए. अंगिका भाषा के साथ लोक गायिका अर्पिता चौधरी से शादी-विवाह, उपनयन संस्कार आदि आयोजनों में अंगिका गीतों की भागीदारी को जाना. मंजूषा गुरु मनोज पंडित व प्राचार्या सुमना सागर ने मंजूषा के तकनीकी पक्ष को जाना.
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