भागलपुर: लिंगमपल्ली और बेंगलुरू से आने वाले मजदूरों ने कहा कि लॉकडाउन के कारण न परदेश में खाने को मिला और अब न यहां खाने को मिलेगा. दो माह बाद खाली हाथ घर लौटे हैं. किस भरोसे दिन कटेगा, यह सोच कर मिजाज कल्पित हो जा रहा है. यह कहना रहा कटिहार के सुशील का. उन्होंने लॉकडाउन के बाद काम-धंधा छिन गया. तभी से दोनों टाइम का गुजारा एक टाइम के रूखा-सूखा खाकर करना पड़ रहा था. घर वापसी पर भी खाने की कोई उम्मीद नहीं है. पैसा घर भेजते थे, तभी परिवार का भी गुजारा होता था. वहीं, पत्नी सुजाता ने बताया कि पति की उदासी देखी नहीं जा रही है. भागलपुर पहुंचने से पहले वहां जो नजीता हुआ है, उसकी कल्पना कोई दूसरा नहीं कर सकता है.
सुनैना ने बताया कि वहां वह और उनके पति मिल कर कमाते थे, तो गुजरा होता था और अब यहां कितना भी कोशिश कर लेंगे, मगर उतना नहीं कमा सकेंगे. पहले तो यहां काम ही नहीं मिलेगा. इतना भी पैसा नहीं है कि पांच किलो चावल खरीद कर खिचड़ी बना गुजरा कर सकें. घरवालों ने ब्याज पर लेकर भेजे पैसे, तो भरा ट्रेन किराया बेंगलुरू से श्रमिक ट्रेन से भागलपुर में उतरे प्रवासी मजदूरों में लगभग सभी का आरोप रहा कि उनसे पहले किराया लिया गया, तभी ट्रेन में चढ़ने मिला.
ट्रेन में चढ़ने से पहले टिकट चेक किया गया. राकेश, संजीत, राहुल, रजनी आदि ने बताया कि बस और रेल किराया मिला कर 900 रुपये खर्च हो गये. मनीष ने बताया कि हमारी कमाई से ही घर चलता है और लॉकडाउन के कारण हमारा ही हाथ खाली हो गया. इतना भी पैसा पास में नहीं रहा कि रेल किराया भर सकें. घर वालों ने ब्याज पर पैसा लेकर भेजा तो टिकट लेकर भागलपुर पहुंचे हैं.
रास्ते में खाना भी नहीं मिला. आज दिल्ली से आयेगी श्रमिक स्पेशल ट्रेन दोपहर 2:05 बजेसोमवार दोपहर 2:05 बजे दिल्ली से श्रमिक स्पेशल ट्रेन भागलपुर पहुंचेगी. यह अभी तक 13 वीं ट्रेन होगी. वहीं, रविवार शाम 6:05 बजे मलुर (कर्नाटक) से भागलपुर के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चली है, जो भागलपुर 19 मई को सुबह छह बजे के करीब पहुंचने की उम्मीद है. इसमें 1440 मजदूर हैं.

