10.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Bhagalpur News. छिड़ा जब जौनपुरी राग, हर मन वृंदावन हो गया

उस्ताद वसीम अहमद खान ने जब राग जौनपुरी में 'पेहरवा जाग रे अरे मोरे मीत...' गीत की विलंबित बंदिश की प्रस्तुति दी, तो उसमें लोग रमते चले गये. इसी राग में 'परिये वाके पाये न सजनी जो न माने गुनियन सीख...' गीत की द्रुत बंदिश की प्रस्तुति में तो शमां ऐसा बंधा कि हर मन वृंदावन हो गया. रागों के बढ़त-फिरत और तानों की विविधता के सरोवर में संगीतप्रेमी डुबकी लगाते रहे.

देश के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायकों में से एक पद्मविभूषण पंडित जसराज की जयंती के अवसर पर उनके शिष्य प्रो बालानंद सिन्हा के आवास पर बुधवार को सांगीतिक बैठक का आयोजन किया गया. आयकर विभाग के समीप स्थित उनके आवास पर शास्त्रीय संगीत के इस आयोजन में आगरा घराने के उस्ताद वसीम अहमद खान का शास्त्रीय गायन हुआ. उनके साथ मशहूर तबला वादक तापस पॉल व सारंगी वादक अल्लारखा कलावंत ने संगत किया.

पंडित जसराज की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण

उस्ताद वसीम अहमद खान ने जब राग जौनपुरी में ”पेहरवा जाग रे अरे मोरे मीत” गीत की विलंबित बंदिश की प्रस्तुति दी, तो उसमें लोग रमते चले गये. इसी राग में ”परिये वाके पाये न सजनी जो न माने” गीत की द्रुत बंदिश की प्रस्तुति में तो शमां ऐसा बंधा कि हर मन वृंदावन हो गया. रागों के बढ़त-फिरत और तानों की विविधता के सरोवर में संगीतप्रेमी डुबकी लगाते रहे. आखिर में गुरु सारंग की मध्य लय तीन ताल की बंदिश से गायन को विराम दिया गया. कार्यक्रम की शुरुआत पंडित जसराज की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर की गयी.

परनाना की बंदिश की परंपरा आगे बढ़ा रहे : खान

संगीत से जुड़े छात्र-छात्राएं और संगीतप्रेमी पूरे कार्यक्रम में भावविभोर हो गये. कार्यक्रम के समापन के बाद भी हर श्रोता के दिलो-दिमाग में रागों के गायन के साथ तापस पॉल के तबले की थाप और अल्लारखा कलावंत की सारंगी की तान हिलोरें मार रही थीं. उस्माद वसीम अहमद खान ने बताया कि राग जौनपुरी की द्रुत बंदिश में उनके परनाना उस्ताद फैयाज खां साहब गाया करते थे. वे उनकी इस परंपरा को भी आगे बढ़ा रहे हैं.

पंडितजी की यादें हमेशा साथ रहती हैं : प्रो सिन्हा

वहीं आयोजक सह तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पीजी मनोविज्ञान विभाग के सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो बालानंद सिन्हा ने कहा कि मुंबई में वर्ष 1976 से 1982 तक रह कर पंडित जसराज से उन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद पंडितजी के साथ कोलकाता, पूणे, बनारस, लखनऊ, इलाहाबाद, पटना, हाजीपुर में संगत (वोकल सपोर्ट) किये. पंडितजी की जयंती पर हर वर्ष इस तरह का आयोजन किया जाता है. पंडितजी उनके पूर्णिया जिले के चंपानगर एस्टेट स्थित घर पर भी शास्त्रीय गायन करने आते थे. उनकी कई यादें हमेशा साथ रहती हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel