– प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, भागलपुर की ओर से महाशिवरात्रि को लेकर हुआ आध्यात्मिक कार्यक्रम
वरीय संवाददाता, भागलपुर
प्रसिद्ध धर्म ग्रंथों, मंदिरों और शिवालयों में शिवलिंग की प्रतिमा का अधिक वर्णन है. सभी मानते हैं परमात्मा एक हैं. वह निराकार ज्योति बिंदु स्वरूप है. परमात्मा का नाम शिव है. शिव का अर्थ है- कल्याणकारी. जन्म-मरण के चक्र से न्यारा होने के कारण परमात्मा का अपना साकार या आकार शरीर नहीं होता इसलिए वे न तो स्त्रीलिंग में आते हैं और न ही पुलिंग में. उन्हें शिवलिंग के रूप में याद किया जाता है. क्योंकि सिर्फ परमात्मा का नाम है और लिंग का अर्थ या प्रतीक यानी चिह्न से है. स्वयं प्रकट होने के कारण उन्हें स्वयंभू भी कहा जाता है. राजयोगिनी अनीता दीदी ने मुख्य वक्ता के रूप में बुधवार को शिव का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कही. मौका था बुधवार महाशिवरात्रि पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, भागलपुर की ओर से बड़ी पोस्टऑफिस के समीप कार्यालय परिसर में आध्यात्मिक कार्यक्रम का.इससे पहले शाखा संचालिका अनीता दीदी ने अतिथियों का स्वागत किया, तो मंच का संचालन रूपाली बहन ने किया. इससे पहले गायत्री देवी, मनकेश्वर सिंह, डॉ वीणा सिन्हा, सीडीपीओ पुष्पा कुमारी, शिव कुमार बाजोरिया, पदमा बाजाेरिया, सुनीता भुवानिया ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया. रूपाली बहन ने कहा कि 12 ज्योतिर्लिंग के नामों की बात करें तो परमात्मा शिव के अनेक कर्तव्यों के आधार पर भक्तजन उनके कर्तव्य वाचक नाम पर उनके गायन और पूजन करते हैं. जैसे कि सोमनाथ, केदारनाथ, बद्रीनाथ, महाकालेश्वर, अमरनाथ आदि. शिवलिंग की स्थापना का आध्यात्मिक ज्ञान मंदिरों में शिवलिंग की स्थापना का अद्भुत रहस्य है. मौके पर बीके सुमन बहन, पवन भाई आदि उपस्थित थे.
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