प्रभात खबर से विशेष बातचीत में पद्मभूषण स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने योग से सभी को जुड़ने के लिए किया प्रेरित
अब तो वैज्ञानिक साक्ष्य भी हैं कि मंत्र साधना सबके लिए कल्याणकारी है. यह साधना आसान भी है. सुबह नींद खुलते ही बिस्तर पर बैठे-बैठ आरोग्य, ऊर्जा एवं प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि के संकल्प के साथ ग्यारह बार महामृत्युंजय मंत्र, विवेक, आन्तरिक स्पष्टता, अन्तर्प्रज्ञा, विद्या और बुद्धि के सुषुप्त क्षेत्रों को जाग्रत करने के संकल्प के साथ ग्यारह बार गायत्री मंत्र और जीवन से दुर्गति को दूर कर, शांति और सामंजस्य का अनुभव करने के संकल्प के साथ तीन बार दुर्गा जी के बत्तीस नामों का जप कर लेना है. उक्त बातें पद्मभूषण परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने प्रभात खबर से विशेष साक्षात्कार के दौरान योग से सभी लोगाें को जुड़ने खासकर विद्यार्थियों को जुड़ने के लिए प्रेरित किया.1978-79 में स्पेन के एक अस्पताल में चलाया एक शोध प्रकल्प, मंत्रों से बढ़ गयी प्रतिरोधक क्षमताउन्होंने बताया कि खुद 1978-79 में स्पेन के उत्तरपूर्वी तट पर स्थित एक सुंदर और ऐतिहासिक शहर बार्सिलोना में थे. तब उन्होंने एक अस्पताल में एक शोध प्रकल्प चलाया था. वास्तव में, मंत्र के मानव शरीर और मस्तिष्क पर प्रभाव को समझाने वाले महत्वपूर्ण शोधों में से एक यह शोध है. इस शोध का उद्देश्य उन लोगों को शांत करना था, जो सर्जरी के लिए अस्पताल जाते थे. उन्हें सर्जरी से पहले पांच मिनट तक ओम का जप करने के लिए एक कमरे में रखा गया. उनकी मस्तिष्क तरंगों, उनकी प्रतिरोधक क्षमता, उनकी हृदय गति की वैज्ञानिक रूप से निगरानी की गयी. इस प्रयोग से जो परिणाम सामने आये, वे बहुत दिलचस्प थे. सबसे पहले तो, मस्तिष्क की अतिसक्रियता कम हो गयी. सिर्फ पांच मिनट के ओम जप से अल्फा और डेल्टा तरंगों में वृद्धि हुई. शरीर की स्नायविक उत्तेजनाओं में भी शिथिलता आयी. मंत्रों पर वैज्ञानिक शोध दिल्ली के एम्स में भी हुआ. वहां भी परिणाम सकारात्मक रहे. सिद्ध संतों का अनुभव रहा है और अब तो अनेक आम साधकों का भी अनुभव है कि कड़े संकल्प के साथ नियमित रूप से मंत्र साधना करने से संकल्प के अनुसार फल जरूर मिलता है.
दीपक राव से बातचीत पर आधारित—————-स्वामी निरंजनानंद सरस्वती के मार्गदर्शन में तीन दिवसीय योग एवं सत्संग सत्र का भव्य समापनवरीय संवाददाता, भागलपुरइस्टर्न बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से द्वारिकापुरी कॉलोनी स्थित मंगल उत्सव परिसर में आयोजित तीन दिवसीय योग एवं सत्संग सत्र का रविवार को समापन हो गया. स्वामी निरंजनानंद सरस्वती के सत्संग का लाभ हजारों प्रबुद्धजनों व आमलोगों ने लिया. स्वामी जी ने योग के गहन सिद्धांतों, जीवन दर्शन, सेवा भावना और आत्मज्ञान की महत्ता पर प्रकाश डाला. यह सत्र न केवल योग के अभ्यास पर केंद्रित रहा, बल्कि दैनिक जीवन में योग को उतारने के व्यावहारिक पहलुओं पर भी जोर दिया गया.
स्वामी निरंजनानंद सरस्वती जी ने अपने उद्बोधन की शुरुआत वेदांत के मूल आधार आत्मभाव से की. उन्होंने कहा कि जब द्वयत्व समाप्त हो जाता है और सब कुछ एक हो जाता है, तभी आत्मभाव की प्राप्ति होती है. उन्होंने जोर देकर कहा कि मंदिर जाना पूर्ण साधना नहीं है. मनुष्य को पशु-पक्षियों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए. उन्होंने कहा कि आसान प्राणायाम से योग प्राप्ति नहीं होती. उनके गुरुदेव ने कहा था कि महर्षि पतंजलि का योग किसी ने सिखाया ही नहीं है. सेवा, प्रेम और ध्यान ही सच्चा योग है. अच्छा होना और अच्छा करना दो अलग बातें हैं. इन्हें जीवन में उतारना आवश्यक है. बिना स्वयं को तैयार किए योग सिद्ध नहीं होता और पूर्ण उपलब्धि नहीं मिलती. स्वामी निरंजनानंद ने चेंबर अध्यक्ष शरद सलारपुरिया को संदेश पत्र सौंपा. सचिव प्रदीप जैन एवं पीआरओ उज्जैन जैन मालू ने बताया कि स्वामी निरंजनानंद ने भारत योग यात्रा की शुरुआत जनवरी माह में भागलपुर से की थी. इस यात्रा का समापन भी आज भागलपुर में किया गया. शुरुआत और समापन का सौभाग्य चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज को मिला.योगयात्रा के समापन सत्र में सीजेएम प्रकाश कुमार राय, सीजेएम 2 राजेश रंजन, रंजीता, मेयर डॉ बसुंधरालाल, आयकर विभाग से मो अशरफ, बीडी कुमार, जीएसटी विभाग से मिन्नी, ट्रिपल आईटी भागलपुर के निदेशक प्रो मधुसूदन सिंह, भारत विकास परिषद के अध्यक्ष डॉ रतन संथालिया, डॉ बिहारीलाल, लक्ष्मीनारायण डोकानिया, शिव कुमार अग्रवाल, डॉ आशीष सिन्हा, डॉ गौतम, डॉ विष्णु डोकानिया, डॉ राजीव लाल, डॉ विनय, डॉ सनातन, चेंबर महामंत्री पुनीत चौधरी, उपाध्यक्ष अजीत जैन, अनिल खेतान, आलोक अग्रवाल, अमरनाथ गोयनका, राम गोपाल पोद्दार, ओमप्रकाश कानोडिया, रोहन साह, गौरव बंसल आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

