मंजूषा कला को जीवित रखने और आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से मंजूषा गुरु मनोज कुमार पंडित व उनकी पत्नी सुमना बरारी स्थित मंजूषा कला प्रशिक्षण केंद्र में निःशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं.
प्रशिक्षण केंद्र में लोककला पर शोधरत छात्र-छात्राएं भी आते हैं. एनआइएफटी और आर्ट कॉलेज के विद्यार्थी यहां आकर मंजूषा कला की रंग-संरचना और तकनीक सीखते हैं.
इस कला संरक्षण के कार्य में उनके पुत्र अमन सागर और मंजूषा कलाकार पवन सागर भी सहयोग कर रहे हैं. यह सभी कलाकार निर्मला देवी घराना से जुड़े हैं. मनोज पंडित का मानना है कि लोक कला ही ललित कला की जननी है. उनका कहना है कि कला दिल से की जाती है, यह विज्ञान से भी ऊपर की चीज है. कला मनुष्य को शांति, शालीनता और उदारता की ओर ले जाती है. कहा कि कोई भी इच्छुक व्यक्ति मंजूषा कला प्रशिक्षण केंद्र, बरारी आकर निःशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर सकता है. संस्कृति और सभ्यता को संरक्षित रखने का यही माध्यम है, जिससे एक शिक्षित और सुंदर समाज का निर्माण संभव हो सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

