नमन कुमार चौधरी, नाथनगर
यह तस्वीर देखकर चौंकिए नहीं, यह कोई गाय-भैस का तबेला नहीं, नाथनगर प्रखंड सह अंचल कार्यालय का परिसर है. यह स्थिति तब है जब इस कार्यालय में बीडीओ, सीओ समेत तमाम पदाधिकारी प्रतिदिन बैठते हैं. इतना ही नहीं पूरे अंचल क्षेत्र का अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी सीओ की है, लेकिन वह अपने कार्यालय परिसर से अवैध कब्जा हटाने में पूरी तरह विफल हैं.
स्थिति यह है कि कार्यालय परिसर के बीचोबीच सैकड़ों मवेशी बंधा रहता है. जगह-जगह गोबड़ का ढेर पड़ा रहता है. इसकी बदबू से कभी-कभार कार्यालय आने वाले लोग परेशान रहते हैं, लेकिन अधिकारियों के लिए यह खुशबू है. इतनी समस्या के बावजूद अधिकारी परिसर खाली कराने के लिए जहमत नहीं उठा रहे हैं. प्रखंड कार्यालय परिसर में सरकारी क्वार्टर बना तो कर्मियों के लिए है, लेकिन उसपर कब्जा स्थानीय लोगों का है. कमरे में गोइठा, भूसा आदि रखा हुआ है. इस कारण कर्मी बाहर में कमरा लेकर रहने को मजबूर हैं. अधिकारी कार्रवाई करने के बजाय ड्यूटी कर निकल जाते हैं.
रेफरल अस्पताल के मरीज व डाक्टर परेशान
रेफरल अस्पताल के पिछले परिसर में भी दर्जनों मवेशी बंधे रहते हैं. यहां भी कुछ सरकारी कमरा पर कब्जा है. जगह-जगह गोबर व गोइठा रखा पड़ा है. यहां आनेवाले मरीज व डॉक्टर दुर्गंध से परेशान हैं. मरीजों को इससे इंफेक्शन का खतरा रहता है. अधिकारियों के अनुसार घेराबंदी के लिए कई बार प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन पहल नहीं हुई. लिहाजा लोगों का कब्जा बरकरार है. अगर अस्पताल का कमरा कब्जा मुक्त हो जाए तो कई जरूरी विभाग यहां खुल सकता है.
नाथनगर सीओ के मुताबिक अंचल क्षेत्र से अतिक्रमण के कुल 10 मामले आए, जिसमें चार का निपटारा कर दिया. दो और मामलों में कार्रवाई होने वाली है, लेकिन अपने कार्यालय परिसर को कब्जा मुक्त नहीं करा पा रहे हैं.
प्रखंड परिसर में इतने विभाग है मौजूद प्रखंड परिसर में प्रखंड सह अंचल कार्यालय, मधुसूदनपुर थाना, मनरेगा, सामाजिक सुरक्षा, कृषि, यूको आरसेटी, अनाज गोदाम, पशु अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण विभाग के कार्यालय है.इन विभाग के आसपास है अतिक्रमण
प्रखंड कार्यालय के पीछे की जमीन व सरकारी क्वाटर, पशु अस्पताल, पीएचईडी की पानी टंकी, पुराना कृषि कार्यालय, अनाज गोदाम, रेफरल अस्पताल आदि की करीब 5 बीघा जमीन पर अतिक्रमण है.
स्थानीय लोगों को आसानी से उपलब्ध हो जाता है दूध प्रखंड सह अंचल कार्यालय की जमीन पर कब्जा आज का नहीं, बल्कि पिछले 25 वर्षों से है. आसपास के गांव के करीब 30-40 पशुपालकों ने अपना दो सौ पशु बांध रखा है. जिससे आमलोगों को सुलभ तरीके से दूध उपलब्ध हो जाता है.पशुपालकों के पास नहीं है पशु रखने का जगह
यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन है. इसी भरोसे इनकी गृहस्थी चलती है. इनके पास पशु रखने के लिए जगह नहीं है, जिस कारण सरकारी जमीन पर पशु रखने को मजबूर है. सरकार व स्थानीय प्रशासन के द्वारा अनेकों लाभकारी योजना चलाया जा रहा है, लेकिन पशु रखने के लिए जमीन पर सार्वजनिक पशु शेड नहीं बनवाया गया है. अगर प्रखंड की जमीन से हटाया जाता है तो इन्हें परेशानी होगी.
कहते हैं अधिकारी पीओ बोले – प्रभारी मनरेगा पीओ जितेंद्र कुमार ने बताया कि मनरेगा से सार्वजनिक पशु शेड बनाने संबंधित कोई योजना नहीं है.सीओ बोले- सीओ रजनीश कुमार ने कहा कि ब्लॉक का अतिक्रमण स्थायी है. दीवार नहीं होने के कारण अंदर घुस जा रहे हैं. बीडीओ को दीवार बनाने बोला गया है.
बीडीओ बोली- बीडीओ शालिनी कश्यप ने बताया कि प्रखंड परिसर घेराबंदी का आधा काम हुआ है. मेन गेट बनकर तैयार है. जिधर कब्जा है उधर नया भवन बनना प्रस्तावित है. भवन बनने के बाद सब हट जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

