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bhagalpur news. मनमानी करने के आरोप में फंसे पूर्व कुलपति, राजभवन ने दिये जांच के आदेश

टीएमबीयू के पूर्व कुलपति प्राे जवाहर लाल मनमानी करने के आरोप में फंस गये हैं.

टीएमबीयू के पूर्व कुलपति प्राे जवाहर लाल मनमानी करने के आरोप में फंस गये हैं. दूसरी तरफ उनके गलत कार्यों में शामिल रहे कुछ अधिकारी व कर्मचारी उन्हें बचाने में लगे हैं. इस बाबत राजभवन से गड़बड़ी के आरोप को लेकर लिखित शिकायत की गयी है. राजभवन ने मामले में विवि से संबंधित रिपोर्ट मांगी गयी थी. विवि से जब 11 दिन तक काेई जवाब राजभवन को नहीं मिला, तो मामले में 12 सितंबर काे राजभवन के अपर सचिव डाॅ नंदलाल आर्य ने विवि काे रिमाइंडर भेजा है. पत्र में कहा कि इसके पूर्व 30 अगस्त काे मामले में टीएमबीयू को पत्र भेजा गया था. शिकायत में आरोप लगाया कि राजभवन ने निर्णय लेने के अधिकार पर राेक लगा था. इसके बाद भी नियुक्ति व पोस्टिंग की गयी. पत्र में विवि के कुलपति से पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट मांगी है.

राजभवन ने पत्र के हवाले से तिथिवार लगाया आरोप

राजभवन से जारी पत्र में अपर सचिव ने अलग-अलग स्तर से प्राे जवाहर लाल के काम में गड़बड़ी के आरोप लगाये गये हैं. इसका तिथिवार जिक्र किया गया है. अपर सचिव ने पत्र में विवि से कहा कि उक्त तिथि पर लगे आरोप से जुड़े पत्राें काे लेकर संबंधित दस्तावेज राजभवन को भेजे. इसके पहले भेजे गये पत्र के बाद भी रिपाेर्ट व दस्तावेज राजभवन नहीं मिला है.

सीनेट सदस्य ने पूर्व कुलपति पर लगाये थे आरोप

सीनेट सदस्य डाॅ राजेश कुमार तिवारी ने 13 अगस्त काे पत्र भेजकर पूर्व कुलपति प्रो जवाहर लाल पर कई गंभीर आरोप लगाये थे. वहीं, शिक्षक प्राे संजय झा ने 17 अगस्त व गेस्ट अभ्यर्थी पटना के रवींद्र कुमार ने 22 जून व सजग युवा संगठन भागलपुर के रवीश रवि ने 10 अगस्त काे राजभवन काे पत्र भेजकर पूर्व कुलपति पर मनमानी करने के आरोप लगाया है.

पूर्व कुलपति पर लगाये गये आरोप

राजभवन ने उक्त लोगों का हवाला देते हुए कहा कि गेस्ट शिक्षक बहाली में यूजीसी, रोस्टर व विवि एक्ट के मानक का उल्लंघन किया गया है. साथ ही पैट परीक्षा की मेधा सूची व चयन प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाया है. इसके अलावा राजभवन से अधिकार पर रोक लगाये जाने के बाद भी मनमाने तरीके से नियुक्ति व पाेस्टिंग की गयी.

न्याय नहीं मिला, तो जायेंगे सीबीआइ की शरण में – सीनेट सदस्य

सीनेट सदस्य डॉ राजेश कुमार तिवारी ने कहा कि पूरे मामले में उन्हें न्यास नहीं मिला, तो ईडी व सीबीआइ की शरण में जायेंगे. आरोप लगाया कि गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आने के बाद पूर्व कुलपति के चहेते साक्ष्य को नष्ट कर सकते हैं. कहा कि राजभवन व सरकार साक्ष्य को जब्त करे. पूर्व कुलपति को बचाने के लिए कुछ लोग लगे हुए हैं. साक्ष्य मिटाने का प्रयास कर रहे हैं. मांग कि है कि पूर्व कुलपति और उनके साथ रहे कुछ लोगों की संपत्ति भी जांच की जाये.

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