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bhagalpur news. 20 पंचायतों के दो हजार किसानों के हजार हेक्टेयर जमीन से फिर नहीं उतरा बाढ़ का पानी

एक ओर जहां जिले के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से गंगा का पानी उतर गया

एक ओर जहां जिले के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से गंगा का पानी उतर गया, वहीं दूसरी ओर ईंट भट्टा व अन्य कारण से बांध व सड़क बना लेने के कारण चौर क्षेत्रों से एक बार फिर पानी नहीं उतर पाया. इस कारण 20 पंचायतों के दो हजार किसानों के एक हजार हेक्टेयर जमीन में जलभराव के कारण रबी फसल की बुआयी नहीं हो सकी. अगले एक माह तक पानी उतरने की संभावना नहीं है. ऐसे में किसान चना, मसूर, मटर, सरसों, मक्का आदि की फसल नहीं लगा पाये और बाजार में अगात चना व सरसों साग नहीं पहुंच पाया. किसानों के साथ भागलपुर व आसपास के उपभोक्ताओं को महंगायी का दंश झेलना पड़ रहा है.

जलभराव के कारण मछली पालन भी संभव नहीं

किसानों का कहना है कि खेती के अलावा उनके पास रोजगार का कोई दूसरा साधन नहीं है. सिमरो के किसान कृष्णानंद सिंह बताया कि लैलख से लेकर पक्कीसराय तक ईंट भट्टा के कारण हाल के दिनों में सड़क और बांध बना दिया गया है. इस कारण चौर इलाकों का पानी नहीं निकल पाता है. पिछले चार साल से यह समस्या शुरू हुई है. इस बार भी भयावह स्थिति बन गयी है. सबौर और गोराडीह क्षेत्र में फोरलेन निर्माण के कारण पानी ठहर गया है. सबौर प्रखंड की खनकित्ता, राजपुर, फतेहपुर मौजा, रजंदीपुर, कुरपट, चंदेरी, बैजलपुर व गोराडीह प्रखंड की घीया, रायपुरा, अगरपुर, सालपुर व सन्हौला प्रखंड की तारड़, सोनूडीह व कहलगांव प्रखंड की प्रशस्तडीह, कोदवार, सिमरो, उदयरामपुर, गोपालपुर आदि में गंभीर स्थिति है. प्रभावित किसानों की मानें तो यहां मछली पालन नहीं हो सकता. साथ ही जलभराव के कारण खेतों का सीमांकन नहीं हो सकता. मछली पालन में विवाद की स्थिति उत्पन्न होगी और खून-खराबे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. नयी सरकार बनने के बाद किसानों की उम्मीद जगी है कि नये जनप्रतिनिधि के प्रयास से स्थायी समाधान होगा.

नहीं मिल पा रहा है सस्ता चना, सरसों का साग और अगैती मटर

किसानों ने बताया कि गंगा का पानी उतरने के बाद यहां की जमीन बिना खाद के उपजाऊ बनी रहट थी. न सिंचाई की जरूरत पड़ती थी और न खाद की. उत्पादन भी उम्मीद से ज्यादा होता था. आमतौर पर दुर्गा पूजा से पहले पानी उतर जाता था और रबी की अगेती फसल की खेती शुरू हो जाती थी. जिससे इलाके में सस्ता चना, सरसों का साग और अगेती मटर बाजार में आ जाते थे. अगेती मटर और साग की आपूर्ति गोड्डा, दुमका, बांका आदि जिलों में होती थी.

पदाधिकारी ने किया था स्थल कानिरीक्षण

स्थानीय किसान सुधांशु कुमार, प्रेम कुमार, ब्रजेश सिंह, कामदेव मंडल, किरो यादव, संजय दास, काली राय, अनिल सिंह, दिलीप सिंह, हर्षवर्धन सिंह ने बताया कि पिछले साल जब आत्मदाह की चेतावनी दी गयी थी, तो लघु जल संसाधन विभाग के वरीय पदाधिकारी मौके पर पहुंचे थे. ईंट भट्टा संचालकों ने आगे बढ़कर पहल की थी और बांध हटवाया था. इसके बाद अस्थायी समाधान निकल पाया था. देर से ही सही खेती शुरू हुई थी. फिर लघु जल संसाधन मंत्री संतोष सुमन ने भागलपुर दौरा के समय मामले पर संज्ञान लिया था. कृष्णानंद सिंह ने बताया कि 2022 में पहली बार यहां यह समस्या आई थी. प्रभावित किसानों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. कोर्ट के निर्देश के बाद कमिश्नर वंदना किनी ने 72 घंटे में समस्या का समाधान करवा दिया था. उनके निर्देश के बाद खनन विभाग के अधिकारियों ने पानी की निकासी करवाई और फिर रबी की फसल की खेती शुरू हुई थी.

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