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पूर्व मंत्री के दिखाए सपने, वन विभाग से किए वादे, सब धरे के धरे रह गए, बनने से पहले ही ध्वस्त हो गया पुल

अगले सावन (2023) से पहले अगुवानी घाट गंगा पुल चालू हो जायेगा. इस पुल से भी होकर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आयेंगे. इस घोषणा से स्थानीय ही नहीं, आसपास के जिले के लोगों में उम्मीद जग गयी थी. यातायात के सुलभ साधन की बात सोच कर लोगों ने सपने देखना शुरू कर दिया था.

भागलपुर: सुलतानगंज के नमामि गंगे घाट पर पिछले वर्ष 14 जुलाई को श्रावणी मेला का उद्घाटन हुआ था. उद्घाटन समारोह में बिहार सरकार के तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने कहा था कि कांवरियों को दी जा रही सुविधा को और बेहतर करने की गुंजाइश है. उन्होंने आश्वस्त किया कि अगले सावन (2023) से पहले अगुवानी घाट गंगा पुल चालू हो जायेगा. इस पुल से भी होकर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आयेंगे. इस घोषणा से स्थानीय ही नहीं, आसपास के जिले के लोगों में उम्मीद जग गयी थी. यातायात के सुलभ साधन की बात सोच कर लोगों ने सपने देखना शुरू कर दिया था, लेकिन सावन से पहले पुल का निर्माण कार्य पूरा होना तो दूर, इससे पहले पुल ही ध्वस्त हो गया. बिना हवा-आंधी के पुल थरथराते हुए खुद ही गंगा में समा गया.

सपने और भी दिखाये गये थे

तत्कालीन पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने पिछले वर्ष श्रावणी मेला के उद्घाटन समारोह में कहा था कि दुनिया में इससे बड़ा मेला देखने को नहीं मिलेगा. यहां बांग्लादेश व नेपाल से भी श्रद्धालु आते हैं. सीढ़ी घाट से रेलवे ओवरब्रिज को सीधे जोड़ा जायेगा, ताकि कांवरियों को नगर क्षेत्र से निकलने में परेशानी नहीं हो. तत्कालीन पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद ने कहा था कि अगले सावन में मुंगेर-मिर्जाचौकी सड़क से भी कांवरिये आयेंगे. तत्कालीन उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने भी कहा था कि अगली बार सावन में निर्माणाधीन मुंगेर-मिर्जाचौकी फोरलेन सड़क से भी कांवरिये आयेंगे, लेकिन न तो गंगा पर पुल बन सका और न फोरलेन का काम पूरा हो सका.

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पुल बनाने में वन विभाग ने रखी थी शर्त, उसका क्या हुआ

सुलतानगंज-अगुवानी गंगा सेतु के निर्माण को लेकर वन विभाग द्वारा वाइल्डलाइफ क्लियरेंस नहीं लेने के कारण काम पर रोक लगा दी गयी थी. इसके बाद क्लियरेंस लेने के लिए बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने आवेदन किया. क्लियरेंस मिलने पर पर्यावरण एवं वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के साइंटिस्ट ”इ” डॉ सुधीर चिंतलपति ने 30 मई, 2023 को पत्र लिखा. उन्होंने लिखा कि सुलतानगंज और अगुवानी घाट के बीच गंगा नदी पर फोरलेन पुल के निर्माण के लिए विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य से 4.22 हेक्टेयर के उपयोग के प्रस्ताव पर मंत्री की अध्यक्षता में 25 अप्रैल, 2023 को राष्ट्रीय वन्य जीवन बोर्ड की स्थायी समिति की 72वीं बैठक हुई. इसमें अनुमति की सिफारिश करने का निर्णय लिया गया. लेकिन इसके लिए शर्त भी होगी.

ये थी वन विभाग की शर्तें 

पुल के निर्माण के दौरान प्रयोक्ता एजेंसी पानी के प्रवाह को न तो रोकेगी, न बदलेगी और न ही नियंत्रित करेगी. कोई भी मलबा नदी में नहीं डाला जायेगा. निर्माण मलबे को अभयारण्य के बाहर और सुरक्षित दूरी पर निपटाया जायेगा. नदी के किनारे से निकलने वाले सभी मलबे को नदी और उसके बाढ़ के मैदान से निकालने से पहले जीवाश्मों के लिए जांच की जायेगी. कोई भी जीवाश्म पाये जाने पर वन्यजीव वार्डन, भागलपुर के पास जमा किया जायेगा. घाट निर्माण को छोड़ कर नदी के तल को नहीं छेड़ा जायेगा. कार्य दिन के समय में सुबह से शाम तक निष्पादित किया जायेगा, लेकिन पुल के गंगा के हिस्से का भाग धराशायी होने के बाद आज सारा मलबा गंगा में समाहित हो चुका है. अब तक मलबा हटाने को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया है. वन विभाग की टीम पुल ध्वस्त होने के बाद घटनास्थल पर गयी थी, पर कुछ खास नजर नहीं आया.

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पुल निर्माण से जुड़े कुछ तथ्य

  • 700 लोग पुल निर्माण कार्य में जुटे थे

  • 17 अरब 10 करोड़ 77 लाख लागत का प्रोजेक्ट

  • 4.22 हेक्टेयर के प्रोटेक्टेड एरिया (डॉल्फिन अभ्यारण्य) में काम

  • 160.17 हेक्टेयर के नन-प्रोटेक्टेड एरिया में काम

प्रभावित होने की आशंका

  • 09 स्तनधारी जीव

  • 93 चिड़िया प्रजाति

  • 75 मछलियों की प्रजाति

पुल निर्माण समय पर हुआ होता, तो क्या मिलता लाभ

  • पुल दक्षिण और उत्तर बिहार के बीच संपर्क में सुधार करता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बहुत लंबे समय तक चलने वाला प्रभाव छोड़ता

  • केले की खेती, मक्का, लीची और आम का प्रसंस्करण, मधुमक्खी पालन का विकास होता

  • पुल से आठ जिलों मधेपुरा, सहरसा, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, भागलपुर व बांका के 164.8 लाख लोगों को लाभ मिलता

  • ग्रामीण समुदाय का एक बड़ा वर्ग धार्मिक रूप से देवघर (बाबाधाम) से सीधे जुड़ पाते

  • श्रावणी मेला के दौरान मिट्टी के बर्तन, फूल, अगरबत्ती आदि वस्तुओं का ग्रामीण महिलाएं व्यवसाय कर पातीं

  • पर्यटक का विकास होता, पुल से गंगा नदी के डॉल्फिन को देखना सहज होता

  • पुल के बनने से बेहतर संचार और विस्तार गतिविधियों के माध्यम से प्रयोगशाला और कृषि भूमि के बीच की खाई पाटी जाती

  • एनएच 80 और एनएच 31 के जुड़ जाने से पौधरोपण की गुंजाइश बढ़ जाती

  • विक्रमशिला सेतु पर वाहनों का भार कम हो जाता

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