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प्रभात खबर खास: ट्रिपल आइटी भागलपुर ने विकसित किया दुनिया का सबसे छोटा सेमीकंडक्टर चिप

इस चिप के निर्माण के लिए प्रोग्रामिंग नहीं करनी होगी. कंप्यूटर पर मैनुअल कोडिंग की जरूरत नहीं होगी. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक से चिप का निर्माण ऑटोमेटिक होगा. उन्होंने बताया कि एचसीएल चंडीगढ़ में अधिकतम 180 नैनोमीटर साइज का चिप तैयार होना है.

गौतम वेदपाणि, भागलपुर

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (ट्रिपल आइटी) में सेमीकंडक्टर चिप को डेवलप करने के पहले चरण का काम पूरा हो गया है. फाइनल प्रोजेक्ट को तैयार कर मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी को सौंप दिया गया है. ट्रिपल आइटी भागलपुर के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रोजेक्ट के आधार पर अब सेमीकंडक्टर या माइक्रोप्रोसेसर चिप का निर्माण या फैब्रिकेशन होगा.

मंत्रालय ने ट्रिपल आइटी के प्रोजेक्ट के आधार पर चिप के फैब्रिकेशन की जिम्मेदारी एचसीएल चंडीगढ़ को दी है. फेब्रिकेशन का काम भी जारी है. प्रोजेक्ट की खासियत यह है कि इससे दो नैनोमीटर साइज के चिप बनाये जा सकते हैं, जबकि चाइना की रियलमी मोबाइल कंपनी ने 2023 में छह नैनोमीटर साइज का माइक्रो प्रोसेसर चिप बनाया था.

इस प्रोजेक्ट को तैयार करने वाले ट्रिपल आइटी के विशेषज्ञ डॉ संदीप राज ने दावा किया है कि इससे दुनिया का सबसे छोटा दो नैनोमीटर का माइक्रोप्रोसेसर चिप बनाया जा सकता है. इस चिप के निर्माण के लिए प्रोग्रामिंग नहीं करनी होगी. कंप्यूटर पर मैनुअल कोडिंग की जरूरत नहीं होगी. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक से चिप का निर्माण ऑटोमेटिक होगा. उन्होंने बताया कि एचसीएल चंडीगढ़ में अधिकतम 180 नैनोमीटर साइज का चिप तैयार होना है.

103 आइटी संस्थानों ने प्रोजेक्ट सबमिट किया

देश में सेमीकंडक्टर को विकसित करने के लिए ट्रिपल आइटी भागलपुर समेत देश के 103 आइआइटी, ट्रिपल आइटी व एनआइटी समेत अन्य आइटी संस्थानों ने अपना प्रोजेक्ट मंत्रालय को सबमिट किया है. चयनित चिप का व्यवसायीकरण किया जायेगा. चिप का निर्यात कर देश को बिलियन डॉलर की कमाई होगी. साथ ही देशी कंपनियों को भी सस्ता चिप मिलेगा. इस समय इंडिया में कहीं भी सेमीकंडक्टर का फैब्रिकेशन नहीं होता है. भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर पूरी तरह से चिप के आयात पर निर्भर है.

ट्रिपल आइटी भागलपुर को रिसर्च के लिए मिले 86 लाख रुपये : ट्रिपल आइटी भागलपुर में चिप के प्रोजेक्ट पर रिसर्च की अनुमति इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री ने जुलाई 2023 में दी थी. वहीं, चिप विकसित करने के लिए तीन करोड़ रुपये का सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध कराया था. इस सॉफ्टवेयर का प्रशिक्षण डॉ संदीप राज ने बेंगलुरु स्थित सेंटर फॉर डेवलपमेंट एंड एडवांस कम्प्यूटिंग सीडैक में लिया. रिसर्च के लिए मंत्रालय की ओर से ट्रिपल आइटी भागलपुर को 86 लाख रुपये दिये गये.

सेमीकंडक्टर चिप का क्या है उपयोग

सेमीकंडक्टर चिप को इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स का दिल माना जाता है. इसका इस्तेमाल स्मार्टफोन, कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्ट डिवाइसेज, व्हीकल्स, हाउसहोल्ड अप्लायंसेज, एग्री टेक, लाइफ सेविंग फार्मास्यूटिकल डिवाइसेज, एटीएम, क्रेडिट कार्ड, यूपीआइ डिवाइस और कई तरह के प्रोडक्ट्स में होता है. इस समय चिप का आयात चाइना, ताइवान, इजराइल समेत अन्य विकसित देशों से किया जा रहा है. मिनिस्ट्री के इस योजना का नाम चिप टू स्टार्टअप स्कीम है. इसके लिए 85 हजार करोड़ आवंटित किये गये हैं. इसके तहत भारत के आइटी संस्थानों से प्रोजेक्ट के प्रपोजल व आइडिया की मांग की गयी.

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