Bihar News: भागलपुर स्मार्ट सिटी के 17 प्रोजेक्ट्स में से सबसे ज्यादा रकम सैंडिस कंपाउंड पर खर्च हुई है, लेकिन हालात बदहाल हैं. तकरीबन 44.60 करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद यहां की सुविधाएं ठप पड़ी हैं. आम दिनों में कंपाउंड वीरान नजर आता है और सुविधाएं ताले में बंद हैं. संचालन करने वाली एजेंसी के हाथ खींचने के बाद यहां की रौनक फीकी पड़ गई है.
बच्चों के लिए खेल कूद का कोई इंतजाम नहीं
बच्चों की परीक्षाएं खत्म हो चुकी हैं, लेकिन चिल्ड्रन पार्क बंद पड़ा है. मुख्य गेट पर ताला लटका है, जिससे बच्चे निराश होकर लौटने को मजबूर हैं. झूले और अन्य संसाधन शोपीस बनकर रह गए हैं. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत दूसरी एजेंसी के चयन में देरी की वजह से सुविधाएं बहाल नहीं हो सकी हैं. पहले टेंडर को रद्द कर दिया गया और दोबारा टेंडर निकालने की प्रक्रिया बस कागजों तक सीमित है.
ढाई महीने से सुविधाएं बंद, सिर्फ टहलने तक सीमित
करीब ढाई महीने से लोग सैंडिस कंपाउंड की सुविधाओं से वंचित हैं. यह केवल सुबह-शाम टहलने तक ही सीमित रह गया है. खिलाड़ियों और शहरवासियों की भीड़ तो रहती है, लेकिन जिम, स्वीमिंग पूल और कैफेटेरिया जैसी सुविधाएं बंद हैं. निगम पार्षदों और शहर के संभ्रांत लोगों का मानना है कि नई एजेंसी के चयन तक सभी सुविधाएं बहाल होनी चाहिए.
बंद पड़ी सुविधाएं
- किड्स पार्क
- ओपन एयर थिएटर
- स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स (जिम, बैडमिंटन, स्विमिंग पूल)
- कैफेटेरिया और पार्किंग
- नाइट शेल्टर
- क्लिवलैंड मेमोरियल पार्क
- स्टेशन क्लब में कैफेटेरिया और रेस्टोरेंट
सुविधाएं बहाल करने के लिए ज़रूरी मैनपावर और मशीनरी
मैनपावर (ग्रुप-ए)
- पार्क मैनेजर – 01
- मेंटेनेंस मैनेजर – 02
- सिक्योरिटी गार्ड – 14
- माली – 08
- इलेक्ट्रिक और प्लंबर टेक्नीशियन – 02
- स्वीपर – 10
- कंपाउंडर और नर्स – 01
- सपोर्ट स्टाफ – 02
- कुल पद – 43
मैनपावर (ग्रुप-बी)
- सिक्योरिटी गार्ड – 06
- स्वीपर – 04
- कंपाउंडर और मेडिकल स्टाफ – 01
- सपोर्ट स्टाफ – 03
- कोच (जिम, स्वीमिंग पूल, बैडमिंटन, क्रिकेट, वॉलीबॉल, फुटबॉल, एथलेटिक्स) – 08
- कुल पद – 22
नाइट शेल्टर के लिए मैनपावर
- सिक्योरिटी गार्ड – 06
- स्वीपर – 04
- कुल पद – 10
ऑपरेशन और मेंटेनेंस के लिए आवश्यक मशीनरी
- ट्रॉली के साथ ट्रैक्टर – 01
- इंजन के साथ वाटर टैंकर – 01
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स्मार्ट सिटी सोसाइटी बनी, लेकिन रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ
भागलपुर स्मार्ट सिटी सोसाइटी का गठन हुए डेढ़ साल हो चुके हैं, लेकिन अब तक इसका रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ. शहरी विकास और आवास विभाग (UDHD) से इसे रजिस्टर कराया जाना है, ताकि स्मार्ट सिटी के तहत बनाए गए प्रोजेक्ट्स का सही मेंटेनेंस किया जा सके.