भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तत्वाधान में भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान हैदराबाद द्वारा बिरसा मुंडा कृषि विश्वविद्यालय रांची में अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना कुसुम एवं तिसी की वार्षिक समीक्षा बैठक आयोजित की गयी. इसमें बीएयू सबौर को तिलहन नवाचार केंद्र के रूप में सम्मानित किया गया. यह सम्मान तिसी में गर्म प्लाज्मा सुधार, जलवायु सहनशीलता एवं रोग प्रतिरोधी किसानों के विकास तथा नैनो प्रौद्योगिकी आधारित उत्पादन तकनीक में उत्कृष्ट योगदान के लिये प्रदान किया गया. बीएयू सबौर के उच्च स्तरीय शोध कार्य निदेशक अनुसंधान डॉ अनिल कुमार सिंह के रणनीतिक नेतृत्व एवं वैज्ञानिक मार्गदर्शन में संचालित किया गया. वैज्ञानिकों के सतत सहयोग से यह उपलब्धि संभव हो पायी है. परियोजना के मुख्य अन्वेषक डॉ आरबीपी निराला तथा सहयोगी वैज्ञानिक डॉ रामानुज विश्वकर्मा, डॉ शिव शंकर आचार्य, डॉ एसके चौधरी और डॉ ए लोकेश्वर रेड्डी ने 2021-22 से 2023-24 के बीच गहन प्रजनन एवं आणविक अनुसंधान द्वारा उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की. कुलपति डॉ डीआर सिंह ने कहा कि बीएयू सबौर ने तिसी की नई किस्म एवं जलवायु सहनशील तकनीक के क्षेत्र में देश में नया मानक स्थापित की है. यह पुरस्कार सम्मान हमारे बहुविषयी वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सतत नवाचार का जीवंत प्रमाण है. यह उपलब्धि स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि जिनोमिक प्रजनन, नैनो उर्वरक और सटीक पोषण प्रबंधन का समन्वित उपयोग तिलहन उत्पादन को नयी ऊंचाइयों तक ले जा सकता है. यह भारत की खाद्य तेल एवं पोषण सुरक्षा में सुधार करेगा तथा किसानों की आय वृद्धि और कृषि आधारित उद्योगों के विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान देगा. बीएयू सबौर भारत का राष्ट्रीय तिलहन नवाचार केंद्र बनकर उभर रहा है, जो देश को तिलहन उत्पादन मे आत्मनिर्भर बनाने के लिये मजबूत वैज्ञानिक आधार प्रदान करेगा.
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